Potato: 'क्वालिटी बीज, उन्नत तकनीक'...यूपी की आलू विकास नीति क्या है जिसने बढ़ाई किसानों की कमाई

Potato: 'क्वालिटी बीज, उन्नत तकनीक'...यूपी की आलू विकास नीति क्या है जिसने बढ़ाई किसानों की कमाई

Potato farming: यूपी सरकार आलू विकास नीति 2014 चलाती है जिसमें किसानों को आलू के क्वालिटी बीज उगाने के लिए बढ़ावा दिया जाता है. इस नीति के तहत सरकार डीबीटी के जरिये किसानों के खाते में पैसे जमा करती है ताकि किसान आलू की खेती को बढ़ा सकें.

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Potato: 'क्वालिटी बीज, उन्नत तकनीक'...यूपी की आलू विकास नीति क्या है जिसने बढ़ाई किसानों की कमाईAloo Vikas Neeti: यूपी सरकार आलू विकास नीति चलाती है

Aloo Vikas Neeti: यूपी सरकार आलू किसानों को उनकी उपज का सही रेट दिलाने और इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए आलू विकास नीति चलाती है. इस नीति का मकसद प्रदेश में आलू की खेती को बढ़ावा देना और क्वालिटी उपज का उत्पादन करना है. इस नीति के तहत सरकार ने कुछ गाइडलाइंस बनाई है जो इस प्रकार है-

  • आलू की खेती के लिए क्वालिटी बीजों का उत्पादन जरूरी है.
  • क्वालिटी आलू के उत्पादन को बढ़ावा देना.
  • आलू की खेती की उन्नत तकनीक को बढ़ावा देना.
  • राज्य में आलू और बीज के लिए भंडार तैयार करना.
  • राज्य से बाहर आलू की मार्केटिंग और निर्यात को बढ़ावा देना.
  • आलू आधारित प्रोसेसिंग उद्योग बनाने को बढ़ावा देना.
  • उत्पादन के लिए किसानों को वैज्ञानिक तरीकों का कौशल विकास और तकनीकी ट्रांसफर.

आलू विकास नीति 2014 के अंतर्गत प्रदेश में सर्टिफाइड आलू बीज का उत्पादन बढ़ाया जाता है ताकि किसानों को अच्छा और अधिक उपज वाला बीज मिल सके. 

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आलू विकास नीति में शामिल जिले

मुजफ्फरनगर, मेरठ, बुलंदशहर, हापुड़, अलीगढ़, हाथरस, मथुरा, आगरा, फिरोज़ाबाद, मैनपुरी, बरेली, बदायूं, कन्नौज, इटावा, कानपुर नगर, कौशांबी, लखनऊ, उन्नाव, रायबरेली और बाराबंकी.

किसानों को मिलता है सब्सिडी का लाभ

  1. प्रति हेक्टेयर 10,000 रुपये की दर से राज्य सहायता का भुगतान डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से किसानों के खातों में ट्रांसफर किया जाएगा.
  2. किन किसानों को मिलेगा आलू विकास नीति का लाभ
  3. किसानों के पास अपनी जमीन होनी चाहिए. 
  4. किसानों के पास सिंचाई के लिए पर्याप्त संसाधन होने चाहिए. 
  5. किसानों को आलू बीज के प्रमाणीकरण और उत्पादन में रुचि होनी चाहिए. 
  6. किसानों को उद्यान विभाग या किसी अन्य संस्था से प्रोसेस्ड प्रजाति का प्रमाणित बीज लेना होगा, जिसकी रसीद जिला उद्यान अधिकारी को देनी होगी. 

किसानों को उत्तर प्रदेश राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था में रजिस्ट्रेशन कराना होगा, जिसके बाद फसलों का निरीक्षण/परीक्षण कराना होगा और उत्पादक आलू बीज की टैगिंग करना आवश्यक है. प्रमाणीकरण संस्था की रिपोर्ट के आधार पर तत्काल भुगतान किसान के खाते में ट्रांसफर कर दिया जाएगा.

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आलू विकास नीति में कैसे करें अप्लाई

आलू विकास नीति के तहत किसानों को विभागीय वेबसाइट पर संबंधित जिला उद्यान अधिकारी कार्यालय में रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है. नीति का लाभ लेने के लिए किसानों को upagriculture.com पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा. किसान साइबर कैफे, कस्टमर केयर, किसान लोकवाणी संस्थान या खुद के संसाधनों के माध्यम से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं.


 

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