Egg Export to America पोल्ट्री में बर्ड फ्लू के बाद से अमेरिका में अंडों का भयंकर संकट है. डिमांड के मुताबिक न तो बाजार में अंडे हैं और जो हैं भी तो उनके दाम बहुत ज्यादा हैं. कुछ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के स्टोर्स में अंडों की चोरी भी हो चुकी है. पोल्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि जिस तरह का नुकसान अमेरिका में हुआ है उसके मुताबिक अमेरिका की पोल्ट्री को सामान्य होने में अभी कम से कम दो साल लग जाएंगे. इसी के चलते अमेरिका ने भारत से अंडों की खरीद शुरू कर दी है.
अंडों की पहली खेप रवाना हो चुकी है. एक्सपर्ट के मुताबिक भारत के पोल्ट्री बाजार के लिए ये एक सुनहरा मौका है. रेट और क्वालिटी से अमेरिका के बाजारों में जगह बनाई जा सकती है. अभी अमेरिका ने अपने पालतू जानवरों के लिए अंडों की खरीद शुरू की है. इससे पहले रूस-उक्रेन युद्ध के चलते श्रीलंका और मलेशिया भी बड़ी संख्या में भारत से अंडों की खरीद कर चुके हैं.
एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका ने पहली खेप के लिए एक करोड़ अंडों की खरीद की है. 21 एसी कंटेनर में ये अंडे पैक किए गए हैं. एक कंटेनर में करीब 4.75 लाख अंडे पैक किए गए हैं. अंडों की ये खेप तमिलनाडू के तूतीकोरिन बंदरगाह से रवाना की गई है. इसके आने वाले चार से पांच दिन में अमेरिका पहुंचने की उम्मीद है. पोल्ट्री एक्सपर्ट ये उम्मीद भी लगा रहे हैं कि जिस तरह के हालात अमेरिका के पोल्ट्री बाजार में बने हुए हैं, उसके मुताबिक एक लम्बे वक्त तक अमेरिका भारत से अंडों की खरीद कर सकता है.
इंटरनेशनल ऐग काउंसिल के प्रेसिडेंट और श्रीनिवासा हैचरी ग्रुप के एमडी सुरेश आर चित्तूरी ने किसान तक को बताया कि अमेरिका के भारत से अंडा खरीदने का बड़ा असर बाजार पर पड़ेगा. हमे इसका फायदा उठाना चाहिए. पोल्ट्री सेक्टर और सरकार मिलकर दूसरे देशों को बताएं कि अब अमेरिका भी हमसे अंडा खरीद रहा है. इससे बाजार में भारत के लिए भरोसा कायम होगा. अभी अमेरिका ने अपने पालतू जानवरों के लिए अंडों की खरीद की है. लेकिन, अगर हमने क्वालिटी और रेट पर काम कर लिया तो अमेरिका का अंडा बाजार हमारे लिए एक बड़ा मौका होगा.
ये भी पढ़ें- Animal Feed: दुधारू पशु खरीदते वक्त और गाभिन पशु की खुराक में अपनाएं ये टिप्स
ये भी पढ़ें- Milk Production: 2033 तक हर साल भारत को चाहिए होगा इतने करोड़ लीटर दूध, अभी है बहुत पीछे
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today