बाजार में बिकने वाली मछलियों को लेकर महाराष्ट्र सरकार ने एक खास निर्देश जारी किया है. निर्देश में कहा गया है कि जो मछलियां एक निश्चित आकार की हो गई हैं, उन्हें ही जाल में पकड़ना है और बेचने के लिए बाजार में उतारना है. इस कड़े नियम का मकसद है छोटी मछलियों को पकड़ने से बचाना क्योंकि कमाई की लालच में ऐसी मछलियां भी पकड़ी जा रही हैं जिन्हें अभी विकसित होना है.
छोटी मछलियों को पकड़ने से उनकी वृद्धि दर प्रभावित होती है क्योंकि ऐसी मछलियों की संख्या नहीं बढ़ पाती. ऐसी मछलियां जब तक प्रजनन के लिए तैयार होती हैं, जब तक अपना कुनबा बढ़ाने के लिए बड़ी होती हैं, उससे पहले ही मछुआरे पकड़ लेते हैं और बाजार में बेच देते हैं. इससे पूरे समुद्री इकोसिस्टम पर विपरीत असर होता है. इसे रोकने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने सेंट्रल मरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट की मदद से निर्देश जारी किया है.
महाराष्ट्र के मत्स्य विभाग ने कहा, ऐसी मछलियों को पकड़ना जो पूरी तरह से विकसित न हों और जिनका 'मिनिमम लीगल साइज' (MLS) न हुआ हो, नियम के खिलाफ है और ऐसा करने वालों पर मत्स्य विभाग की ओर से कड़ी कार्रवाई की जाएगी. उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र की आधिकारिक मछली सिल्वर पॉम्फ्रेट और बांगड़ा (इंडियन मकेरेल) की लंबाई अनिवार्य तौर पर कम से कम 14 सेमी होनी चाहिए. इसी तरह, प्रॉन की लंबाई 9 सेमी होनी चाहिए. इससे छोटे साइज की मछलियां पकड़ना अपराध की श्रेणी में आएगा.
नए नियम के मुताबिक, बॉम्बे डक मछली की लंबाई 18 सेमी जबकि सुरमई की लंबाई (एमएलएस) 37 सेमी होनी चाहिए. आपको बता दें कि मछलियों के लिए 'मिनिमम लीगल साइज' का नियम लागू करने वाला महाराष्ट्र दूसरा राज्य है जबकि पहले नंबर पर केरला है. सूत्रों के मुताबिक, मॉनसून के दौरान समुद्र से छोटी मछलियों को पकड़ने पर रोक लगी थी. मॉनसून बीतते ही इस रोक का उल्लंघन हुआ और बड़ी तादाद में मछलियां पकड़ी गईं. इससे पूरे इकोसिस्टम पर असर देखा गया. यही वजह है कि मत्स्य विभाग को कड़ी कार्रवाई का ऐलान करना पड़ा.
मत्स्य विभाग का कहना है कि मछलियों का विकसित होना और एक निश्चित साइज लेना जरूरी है. इससे उनका प्रजनन बढ़ता है जिससे उनकी तादाद में इजाफा होता है. अगर छोटी मछलियां पकड़ी जाएंगी तो उनकी संख्या नहीं बढ़ेगी और इसका रिजल्ट मछलियों की घटती संख्या के रूप में देखा जाएगा. इस कदम को रोकने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने एमएलसी को अनिवार्य तौर पर लागू करने का फैसला किया है. ऐसा नहीं करने पर मछुआरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
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