पीएफआई के प्रतिनिधि ने केंद्रीय कृषि मंत्री से की मुलाकातपोल्ट्री सेक्टर के हितों की रक्षा और इसके समग्र विकास को लेकर पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया (PFI) लगातार सक्रिय है. हाल ही में संघ की 36वीं वार्षिक आमसभा (AGM) की शानदार सफलता के बाद अब PFI की टीम देशभर में बैठकों और सरकारी संवादों के माध्यम से उद्योग से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में जुटी हुई है. इसी कड़ी में मंगलवार को PFI के अध्यक्ष रणपाल ढांडा ने संघ के सचिव रवींदर संधू और प्रबंधक जगदीश के साथ पंजाब के लुधियाना में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की.
कार्यक्रम स्थल पर PFI की ओर से एक जानकारीपरक प्रदर्शनी स्टॉल भी लगाया गया, जहां किसानों को आधुनिक पोल्ट्री प्रबंधन, संतुलित आहार और रोग नियंत्रण के बारे में जानकारी दी गई. अपने संबोधन में रणपाल ढांडा ने बताया कि PFI देशभर के पोल्ट्री ब्रीडर्स, किसान, फीड मीलर, उपकरण निर्माता, दवा और फीड एडिटिव कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाला प्रमुख संगठन है.
उन्होंने कहा कि भारत में पोल्ट्री उद्योग तेजी से बढ़ रहा है और हर साल 8-10 प्रतिशत की दर से विस्तार कर रहा है. हालांकि, इस समय उद्योग को मक्के की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि इथेनॉल उद्योग की बढ़ती मांग से पोल्ट्री के लिए आवश्यक मक्का उपलब्ध नहीं हो पा रहा है.
ढांडा ने कृषि मंत्री से आग्रह किया कि सरकार किसानों को सस्ती दरों पर हाइब्रिड मक्का बीज उपलब्ध कराए, ताकि प्रति एकड़ पैदावार बढ़ाई जा सके. उन्होंने कहा कि अगर उत्पादन बढ़ेगा तो पोल्ट्री किसानों को उचित मूल्य पर मक्का मिल सकेगा और दाना लागत घटेगी. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि मंडियों में मक्का ड्रायर (Maize Dryers) की व्यवस्था की जाए, जिससे नमी की अधिकता के कारण अफ्लाटॉक्सिन जैसी समस्या से बचा जा सके और गुणवत्ता बरकरार रहे.
PFI अध्यक्ष ने बताया कि पोल्ट्री उद्योग देश में 60 लाख से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार दे रहा है. अगर मक्का उत्पादन बढ़ाया गया तो न केवल घरेलू बाजार में स्थिरता आएगी, बल्कि भारत अंडे और फ्रोजन चिकन के निर्यात में भी आत्मनिर्भर बन सकेगा. बैठक के अंत में PFI प्रतिनिधिमंडल ने कृषि मंत्री को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें उद्योग से जुड़ी मांगों और सुझावों का विस्तार से उल्लेख किया गया.
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