हमारे देश में दुधारू पशु पालने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. अधिकांश लोग गाय-भैंस पालकर डेयरी फार्म शुरू कर रहे हैं और अच्छी कमाई भी कर रहे हैं. आप जानते होंगे कि कमाई के लिए लोग ऐसे पशु पालते हैं जो अधिक से अधिक दूध दे सकें. लेकिन आपको भैंस की एक ऐसी नस्ल के बारे में बताने जा रहे हैं जो दूध देने के मामले में कई बेहतरीन नस्ल की भैंसों से पीछे है लेकिन उसके बावजूद भी वो पशुपालकों खासतौर पर डेयरी फार्मिंग करने वालों की फेवरेट बनी हुई है. भैंस की इस खास नस्ल का नाम भदावरी है, आइए जानते हैं कि ये क्यों खास है?
भैंसों की खास नस्ल में भदावरी नस्ल बहुत खास मानी जाती है. हालांकि ये रोजाना 7-8 लीटर तक ही दूध देती है जो कि अन्य नस्लों से काफी कम माना जाता है, लेकिन इस भैंस का दूध अधिक फैट के लिए फेमस होता है. भदावरी नस्ल की भैंस में 18 फीसदी तक फैट मिल सकता है, जो कि आमतौर पर 4-8 फीसदी तक ही होता है. 18 फीसदी के साथ भदावरी नस्ल की भैंस फैट वाले दूध के मामले में सबसे ऊपर है.
अब आप सोच रहे होंगे कि इस भैंस में सबसे अधिक फैट होता है तो इससे पशुपालकों का क्या फायदा है? आपको बता दें कि दूध में अधिक फैट होने से उसकी कीमत भी बहुत अधिक होती है. फैट का मतलब वसा है जो दूध के गाढ़ेपन के लिए जिम्मेदार होता है. दूध में जितना ज्यादा फैट होता है उससे डेयरी प्रोडक्ट्स बनने की संभावना उतनी ही ज्यादा होती है. दूध में अधिक फैट होने से उससे घी, पनीर, छेना, मक्खन उतना ही बेहतर बनता है. यही कारण है कि अधिक फैट वाला दूध अधिक महंगा बिकता है.
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अगर आप डेयरी फार्मर हैं या फिर डेयरी की शुरुआत करने जा रहे हैं तो आपके लिए भदावरी नस्ल की भैंस पालना फायदेमंद है. हालांकि आमतौर पर अधिक फैट कंज्यूम करना सेहत के लिए फायदेमंद नहीं होता है इसलिए इसकी संतुलित मात्रा ही फायदेमंद है. अगर आप संतुलित मात्रा में फैट का सेवन करते हैं तो ये कई तरह से फायदेमंद होता है. अधिक मेहनत करने वाले लोगों या खिलाड़ियों के लिए फैट जरूरी है, ये हड्डियों के लिए अच्छा माना जाता है. आपको बता दें कि कई लोगों फैट से एलर्जी होती है इसलिए ऐसी स्थिति में इसका सेवन ना करें.
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