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राजस्थान के छह जिलों में फैला खतरनाक अफ्रीकन स्वाइन फीवर, चार हजार सुअरों की मौत

राजस्थान के छह जिलों में फैला खतरनाक अफ्रीकन स्वाइन फीवर, चार हजार सुअरों की मौत

राजस्थान में बीते कुछ दिनों से छह जिलों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर फैल रहा है. यह फीवर सुअरों में फैला हुआ है. प्रदेश के अलवर, सवाईमाधोपुर, जयपुर, कोटा, करौली और भरतपुर जिलों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर के केस मिले हैं. पशुपालन विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक अब तक चार हजार से ज्यादा सुअरों की मौत हो चुकी है.

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राजस्थान में अफ्रीकन स्वाइन फीवर से चार हजार सुअरों की मौत. फोटो- साभार आजतक राजस्थान में अफ्रीकन स्वाइन फीवर से चार हजार सुअरों की मौत. फोटो- साभार आजतक

राजस्थान में बीते कुछ दिनों से छह जिलों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर फैल रहा है. यह फीवर सुअरों में फैला हुआ है. प्रदेश के अलवर, सवाईमाधोपुर, जयपुर, कोटा, करौली और भरतपुर जिलों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर के केस मिले हैं. पशुपालन विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक अब तक चार हजार से ज्यादा सुअरों की मौत हो चुकी है. सुअरों में फैली यह बीमारी इतनी खतरनाक है कि इससे संक्रमित सुअर के मरने का प्रतिशत 90-100 है. पशुपालन विभाग ने संक्रमित सुअरों की बीमारी पर काबू पाने के लिए त्वरित प्रतिक्रिया दलों का गठन किया है. इन दलों ने सुअर पालकों को रोग के प्रति जागरुक करने के साथ-साथ संक्रमित सुअरों की पहचान कर सैंपल इकट्ठे किए थे.

सैंपल भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान में भेजे गए थे. जहां पर अफ्रीकन स्वाइन फीवर की पुष्टि हुई है. इस बीमारी में सुअरों के शरीर पर लाल चकत्ते बनते हैं और शरीर का तापमान 42-45 डिग्री तक पहुंच जाता है. संक्रमित सुअर की अगले एक-दो दिन में मौत हो जाती है.

लाइलाज है बीमारी, जयपुर में यूथेनिशिया प्रक्रिया अपनाई जा रही

अफ्रीकन स्वाइन फीवर एक लाइलाज और बेहद तेजी से फैलने वाली बीमारी है. पशुपालन विभाग में इसे डील करने वाले डिप्टी डायरेक्टर डॉ. पदम कानखेडिया से 'किसान तक' ने बात की. वे बताते हैं, “इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है. इसीलिए संक्रमित एक किलोमीटर क्षेत्र में सभी सुअर प्रजाति के पशुओं को मानवीय तरीके से मारना पड़ता है. इसे यूथेनेसिया कहा जाता है. इसमें पहले सुअर को बेहोशी का इंजेक्शन दिया जाता है और फिर उसके दिल को पंक्चर कर उसमें दवाई इंजेक्ट की जाती है. इससे पशु बिना दर्द के मर जाता है.

यह काम भारत सरकार की गाइडलाइन के आधार पर किया जाता है. यूथेनेसिया प्रक्रिया से अब तक अलवर में 36, कोटा के सांगोद में 20 और जयपुर में 48 सुअरों को मारा गया है.”

अब तक चार हजार सुअरों की मौत

पशुपालन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार नवंबर 2021 में अलवर में अफ्रीकन स्वाइन फीवर का पहला केस मिला था. राजस्थान में इससे अब तक चार हजार सुअरों की मौत हो चुकी है. यह बीमारी इतनी खतरनाक है कि संक्रमित सभी सुअरों की मौत इसमें हुई है. पशुपालन विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार अलवर में 71, सवाई माधोपुर में 2966, भरतपुर में 68, कोटा में 513, करौली में 10, कोटा में 176 और जयपुर में 200 सुअरों की मौत हो चुकी है. 

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जयपुर में केस 14 दिसंबर को मिले,लेकिन बीते दो दिनों से सबसे अधिक केस जयपुर जिले के रेनवाल से ही मिल रहे हैं. इसीलिए यहां यूथेनेसिया(मानवीय तरीके से पशुओं को मारना) प्रक्रिया से सबसे अधिक 48 सुअरों को मारा गया है. इसके बाद अलवर में 36 सुअरों को यूथेनेसिया से मारा गया है.

यूथेनाइजेशन के बाद भारत सरकार के द्वारा तय किए गए प्रावधानों के अनुसार पशुपालक को मुआवजा दिया जाता है. बता दें कि संक्रमण कंफर्मेशन की स्थिति में संक्रमित क्षेत्र के एक किलोमीटर में यूथेनाइज का तरीका अपनाया जाता है.

केन्या में 1920 में मिला पहला केस

अफ्रीकन स्वाइन फीवर 100 साल पुरानी बीमारी है. केन्या में साल 1920 में पहला केस इस बीमारी का सुअरों में मिला था. भारत में 2021 में उत्तर-पूर्वी राज्य मिजोरम में अफ्रीकन स्वाइन फीवर का केस मिला. राजस्थान में नवंबर 2022 में अलवर में इस बीमारी का पहला संक्रमित सुअर मिला. 

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अब तक क्या हुआ?

भारत सरकार के शूकर अनुसंधान केंद्र ने 2022 के अगस्त महीने में पंजाब और मध्यप्रदेश में केस मिलने के बाद एक मानक ऑपरेटिंग प्रक्रिया  (Standard operating procedure) जारी की गई थी. विभाग का दावा है कि इस एसओपी को राज्य की सभी संस्थाओं को भी जारी किया गया. 

अलवर में अफ्रीकन स्वाइन फीवर की पुष्टि होने के बाद दो दिसंबर 2022 को सर्वेक्षण, निदान और रोकथाम के लिए निर्देश प्रसारित किए गए. जयपुर जिले के रेनवाल में बीमार पशुओं के कंफर्मेशन होने के बाद एपिसेंटर एरिया में यूथेनाइज करने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है. यह प्रक्रिया स्थानीय निकाय और पशुपालन विभाग के अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है.

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