देशी ऊन के उपयोग से बढ़ रही भेड़ पालकों की आमदनी

देशी ऊन के उपयोग से बढ़ रही भेड़ पालकों की आमदनी

राजस्थान पशुपालन विभाग के शासन सचिव कृष्ण कुणाल ने अविकानगर में केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान केन्द्र का दौरा किया. इस दौरान वहां भेड़ों और ऊन पर किए जा रहे कामों को बारीकी से परखा.

Advertisement
देशी ऊन के उपयोग से बढ़ रही भेड़ पालकों की आमदनीराजस्थान पशुपालन विभाग के शासन सचिव गोद में बकरी का मेमना पकड़े हुए. फोटो- DIPR

राजस्थान पशुपालन विभाग के शासन सचिव कृष्ण कुणाल ने हाल ही में टोंक जिले में स्थित अविकानगर में केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसन्धान संस्थान का दौरा किया. उन्होंने यहां भेड़ों के विकास और संवर्धन के लिए किए जा रहे कामों के बारे में जानकारी ली. उन्होंने संस्थान की ओर से भेड़ एवं बकरी पालन की दिशा में किए जा रहे कामों की तारीफ की. कुणाल ने कहा कि संस्थान बकरी सुधार पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना एवं मांस व दूध उत्पादन के लिए सिरोही बकरियों की नस्ल सुधार पर काम कर रहा है. इससे आने वाले समय में पूरे देश को फायदा होगा. 

ऊन उत्पादन में पहले स्थान पर राजस्थान

पशुपालन विभाग के शासन सचिव कृष्ण कुणाल ने कहा कि नस्ल सुधार में किये जा रहे प्रयास और राज्य सरकार की पशुपालन के क्षेत्र में चलायी जा रही योजनाओं का ही नतीजा है कि आज राजस्थान ऊन उत्पादन में देश में पहले स्थान पर है. केंद्रीय पशुपालन विभाग के विभागीय वार्षिक प्रकाशन ‘बुनियादी पशुपालन सांख्यिकी 2022‘ के अनुसार राजस्थान 45.91 प्रतिशत ऊन उत्पादन के साथ प्रथम स्थान पर है.

वहीं, ऊन उत्पादन में प्रमुख पांच राज्य राजस्थान 45.91 प्रतिशत के साथ पहले, जम्मू एवं कश्मीर (23.19 प्रतिशत)दूसरे, गुजरात (6.12 प्रतिशत)तीसरे, महाराष्ट्र (4.78 प्रतिशत)चौथे और हिमाचल प्रदेश (4.33 प्रतिशत) पांचव स्थान पर है. देशी ऊन गर्म कपडे, कार्पेट एवं पैकेजिंग सामग्री एवं बिल्डिंग सामग्री के साथ बायो फ़र्टिलाइज़र के रूप में भी मुख्य रूप में उपयोग में आती है. फिलहाल बाजार में 30-40 रुपए प्रति किलो तक देशी ऊन को बेचा जाता है.

ये भी पढ़ें- राजस्थान के क‍िसानों ने क‍िया कमाल... दूध और ऊन उत्पादन में रचा इतिहास

इसी तरह राजस्थान में देश का 15.5 प्रतिशत दूध उत्पादन होता है. कुणाल ने कहा कि इन्हीं कामों के कारण प्रदेश में पशुपालन के क्षेत्र में स्टार्टअप एवं रोजगार के साधन विकसित होने का माहौल बन रहा है. पशुपालकों की आय के साथ उन्नत नस्लीय पशुधन में भी वृद्धि हुई है.

खरगोश पालन पर भी दें ध्यान

कुणाल ने संस्थान द्वारा खरगोश पालन एवं पशुधन उत्पादों की भी विस्तृत जानकारी ली. केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसन्धान संस्थान के निदेशक डॉ. ए.के. तोमर ने संस्थान द्वारा पशुपालकों के लिए उन्नत नस्लीय पशुधन विकास में किये जा रहे प्रयासों के बारे में शासन सचिव को बताया.

ये भी देखें- Video: किसानों के लिए खुशखबरी, PAU की इस नई तकनीक से अब सालों खराब नहीं होगा अनाज

कुणाल ने कहा कि संस्थान खरगोश पालन को भी महत्व दे ताकि इसका फायदा भी पशुपालक कर सकें. तोमर ने कहा कि संस्थान द्वारा देशी ऊन से बनाए जा रहे विभिन्न उत्पादों की मार्केटिंग की जा रही है. इससे भेड़ पालकों के लिए रोजगार एवं आय के अन्य साधन और माध्यम खुल रहे हैं. 

मोटे अनाज बनेंगे पुलिसकर्म‍ियों की खुराक, Police Mess में शाम‍िल करने का फैसला

ऋण माफी के लिए जल्द आवेदन करें क‍िसान, 31 मार्च को सरकार बंद कर रही है पोर्टल

POST A COMMENT