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राजस्थान: पशुओं को मिलेगा गुणवत्तापूर्ण आहार, जयपुर में 100 मीट्रिक टन क्षमता का लगाया जाएगा प्लांट

राजस्थान: पशुओं को मिलेगा गुणवत्तापूर्ण आहार, जयपुर में 100 मीट्रिक टन क्षमता का लगाया जाएगा प्लांट

राजस्थान की राजधानी जयपुर में गुणवत्तापूर्ण पशु आहार की पूर्ति के लिए 100 मीट्रिक टन क्षमता का प्लांट लगाया जाएगा. यह प्लांट नई टेक्नोलॉजी और पुराने प्लांट से अधिक क्षमता का है.

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जयपुर में पशुओं को गुणवत्तापूर्ण आहार के लिए स्थापित होगा 100 मीट्रिक टन का प्लांट. फोटो- माधव शर्मा जयपुर में पशुओं को गुणवत्तापूर्ण आहार के लिए स्थापित होगा 100 मीट्रिक टन का प्लांट. फोटो- माधव शर्मा

राजस्थान की राजधानी जयपुर में गुणवत्तापूर्ण पशु आहार की पूर्ति के लिए 100 मीट्रिक टन क्षमता का प्लांट लगाया जाएगा. यह प्लांट नई टेक्नोलॉजी और पुराने प्लांट से अधिक क्षमता का है. सहकारिता विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रेया गुहा ने जयपुर के झोटवाड़ा स्थित पशुआहार प्लांट का निरीक्षण किया. निरीक्षण में सामने आया कि राजफैड को एक नए पशुआहार प्लांट की जरूरत है, क्योंकि पुराने प्लांट में लागत अधिक आ रही है. इसीलिए अब 100 मीट्रिक टन क्षमता का पशुआहार प्लांट लगाया जाएगा. झोटवाड़ा इंड्रस्ट्रियल एरिया में स्थित राजफैड का पशुआहार प्लांट काफी पुराना हो चुका है. यह साल 1971 में स्थापित किया गया था. यहां बनने वाले पशुआहार की बाजार में काफी डिमांड रहती है, क्योंकि यह बाकी आहारों से ज्यादा पोषक और सस्ता है. इसीलिए पशुपालकों में राजफैड के बनाए पशु आहार की काफी मांग रहती है. 

पुराने प्लांट से कम उत्पादन, लागत ज्यादा

जयपुर में इस प्लांट का अधिकतर काम मैनुअल ऑपरेशन से हो रहा है. इससे प्रोडक्ट की लागत अधिक आती है. साथ ही पशुपालकों की आहार को लेकर मांग की पूर्ति भी कम हो पाती है. इसीलिए अब नई तकनीक का इस्तेमाल करते हुए नए प्लांट से अधिक मात्रा में पशुआहार का उत्पादन किया जा सकेगा, ताकि पशुपालकों की मांग को समय पर पूरा किया जा सके. गुहा ने राजफैड के बनाए पशुआहार की मार्केटिंग कर उसे ज्यादा से ज्यादा पशुपालकों के बीच पहुंचाने के निर्देश भी दिए. 

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बदलेगा गोदाम, जल्द बनेगी डीपीआर

प्लांट के काम में तेजी लाने के लिए प्रमुख शासन सचिव ने प्लांट के लिए जल्दी डीपीआर तैयार करने के भी निर्देश दिए. वहीं, उन्होंने राजफैड के गैस गोदाम को रिहायशी इलाके भवानी सिंह रोड से हटाकर झोटवाड़ा इंड्रस्ट्रियल एरिया में शिफ्ट करने के आदेश दिए. इस संबंध में कमेटी बनकर रिपोर्ट पेश होगी. इसके अलावा नए प्लांट में पशुआहार को टेस्ट करने के लिए टेस्टिंग लैब, सुरक्षा व्यवस्था, कच्चे माल की प्रक्रिया, पशुआहार बनने से लेकर अपलोडिंग तक की प्रक्रिया को गुहा ने समझा. साथ ही खाली पड़े गोदामों और क्षतिग्रस्त गोदामों के नवीनीकरण की बात भी कही. 

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रोजाना 40-45 मीट्रक टन का उत्पादन

बता दें कि राजफैड के प्लांट में फिलहाल रोजाना 40-50 मीट्रिक टन पशुआहार बनाया जा रहा है. यह क्षमता काफी कम है. राजफैड की प्रबंध निदेशक उर्मिला राजोरिया ने बताया कि यह प्लांट 50 साल पुराना है. इसीलिए पशुआहार बनाने में पुरानी टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जा रहा है. इससे उत्पादन लागत बढ़ती है. इसीलिए अब इसकी क्षमता नई तकनीक के साथ बढ़ाकर 100 मीट्रिक टन प्रति दिन किया जा रहा है. 

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