
बिहार में एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला सोनपुर में लगता है. लेकिन इसके अलावा भी सूबे में पशुओं की खरीद बिक्री के लिए ग्रामीण स्तर पर पशु हाट मेला लगता है. जहां ग्रामीण क्षेत्र सहित आसपास के जिलों एवं राज्यों के लोग पशु की खरीदारी करने के लिए आते हैं. दरअसल, राज्य की राजधानी पटना से करीब 150 किलोमीटर दूर बक्सर जिले के चौसा में पिछले कई सालों से यह पशु हाट मेला लग रहा है. यहां के स्थानीय लोगों के अनुसार 40 साल से अधिक समय से पशु हाट मेला लग रहा है. वहीं इस पशु हाट मेला में जर्सी, साहिवाल, गुजरात की गिर गाय और देशी गाय सहित अन्य नस्लों के गायों की खरीद बिक्री की जाती है.
बता दें कि चौसा पशु हाट मेला में खरीद-बिक्री के लिए गायें पूरे साल उपलब्ध रहती हैं. लेकिन बुधवार को बड़े स्तर पर पशुओं की खरीद-बिक्री होती हैं. यह मेला स्थानीय लोगों के द्वारा लगाया जाता है. यहां के स्थानीय लोग अपनी निजी जमीन पर पशु हाट मेला लगाते हैं. करीब 10 बीघा से अधिक इलाके में पशु मेला लगता है. इस तरह के पशु हाट मेला लगने से स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार उपलब्ध हो रहे हैं.
मोहनिया से बक्सर के मार्ग पर स्थित चौसा में पशु हाट मेला चार दशकों से अधिक समय से लग रहा है. इस मेले में पिछले 10 साल से आ रहे पशु व्यापारी शम्भू सिंह कहते हैं कि इस तरह के मेला लगने से बहुत फायदा है. अब गाय,भैंस बेचने के लिए भटकना नहीं पड़ता है. यहां पशु को लाते हैं और एक दो दिन में पशु बिक जाते हैं. यह मेला स्थानीय लोगों की मदद से चलता है. इस मेला में जिन किसानों की अपनी जमीन होती है. वह किसान अपनी जमीन में मेला लगाते हैं. एक ऐसे ही किसान सुजीत यादव हैं, जो अपनी भूमि में मेला लगवाते हैं. यह कहते हैं कि हम लोग बस अपने जमीन में पशुओं के रहने की व्यवस्था एवं व्यापारियों के ठहरने का प्रबंध करते हैं. और जब पशुपालक व्यापारियों से पशु खरीदने आते हैं. तो एक जानवर की खरीद पर पशुपालक कम से कम 200 रुपए तक कर लिया जाता है. आगे वह कहते हैं कि उनकी तरह करीब 18 से अधिक जमीन मालिक अपनी भूमि में पशु मेला लगाते हैं.
यूपी के आजमगढ़ जिले के रहने वाले व्यापारी फुनि राय हर सोमवार को पशु हाट मेला में गाय लेकर आते हैं और बुधवार के दिन बेचकर चले जाते हैं. वो कहते हैं कि हम जैसे कम पढ़े-लिखे लोगों के लिए इस तरह का मेला रोजी रोटी का बड़ा सहारा है. अगर एक दो पशु भी बिक जाते हैं तो 7 से 8 हजार रुपए तक लाभ मिल जाता है. इसी पशु हाट मेला में 26 वर्षीय राकेश कुमार पशु सहित आम लोगों के लिए रोजमर्रा का सामान बेचते हैं. वो कहते हैं कि हर रोज का करीब दो से तीन हजार रुपए तक की कमाई हो जाती है. वहीं दुकान का व्यवसाय बढ़िया है. इस मेला के चलते घर का खर्च बढ़िया से निकल जाता है.
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चौसा के पशु मेला में हर रोज गाय एवं भैंस की खरीद-बिक्री होती है, लेकिन बुधवार को बड़े स्तर पर पशुओं की खरीद-बिक्री होती है. पशु हाट मेला मालिक सुजीत कुमार कहते हैं कि उस दिन करीब 2 से 3 हजार के आसपास लोग गाय, भैंस खरीदने के लिए आते हैं और जब पशुओं की खरीदी की जाती है, तो पशुओं की पूरी जानकारी एक रशीद पर लिखी जाती है ताकि आने वाले समय में किसी तरह की परेशानी न हो. आगे कहते हैं कि बिहार में कई जगह पशु मेला लगता है, जिनमें काराकट, नुआंव, माझावरी सहित अन्य स्थानों पर लगता है. लेकिन चौसा की तरह बड़े स्तर पर नहीं लगता है. हरियाणा, गुजरात, यूपी सहित अन्य राज्यों के पशु यहां आते हैं. यहां 15 हजार रुपए से लेकर करीब एक लाख रुपए तक के गाय, भैंस उपलब्ध रहते हैं. अंत में सुजीत कहते हैं कि चौसा रेलवे स्टेशन पर कोई एक्सप्रेस या सुपरफास्ट ट्रेन रुकने लगे, तो काफी सहूलियत हो जाएगा.
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