घर के अंदर पाला जाने वाला पशु हो या फिर सड़क पर घूमने वाला पशु, 70 से ज्यादा ऐसी बीमारियां हैं जो पशुओं से इंसानों को होती है. एक आंकड़ा बताता है कि हर साल करोड़ों लोगों इसकी चपेट में आते हैं और लाखों लोगों की इससे मौत हो जाती है. संक्रमित पशु के साथ सीधे संपर्क से, एयरोसोल, छोटी बूंद के संक्रमण के माध्यम से, शरीर से निकलने वाली लार, रक्त या फिर संक्रमित पशु के शरीर से निकलने वाला कोई दूसरा द्रव, जानवर के काटने से. वहीं वैक्टर, दूषित भोजन, पानी और वायु-जनित या फोमाइट-जनित संचरण के माध्यम से इस तरह की बीमारी होती है.
ये कहना है भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI), बरेली के साइंटिस्ट का. साइंटिस्टी डॉ हिमानी धांजे ने बताया कि इस तरह की बीमारी को जूनोटिक कहा जाता है. ये सभी जानकारी वो स्कूली बच्चों को दे रहे हैं. उन्होंरने बताया कि जिस तरह से हमारे देश में आज पशु-पक्षी और इंसान एक-दूसरे के संपर्क में आ रहे हैं उसके लिए जागरुकता जरूरी है. डेयरी, पोल्ट्री और फिशरीज का कारोबार तो एक-दूसरे के संपर्क में आए बिना हो ही नहीं सकता है.
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डॉ हिमानी ने बताया कि गोयनका पब्लिक स्कूल, बरेली में बच्चों के बीच जूनोटिक पर आधारित प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया गया था. इस मौके पर बच्चों से जूनोटिक से जुड़े सवाल-जवाब किए गए. इस दौरान केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर बरेली में भी जागरुकता अभियान चलाया गया. इसे आम भाषा में पशुजनित रोग भी बोलते हैं. जीवाणु, विषाणु, कवक, परजीवी, रिकेट्सिया और क्लैमाइडिया के कारण पशुजनित रोग हो सकते है.
एनीमल एक्सपर्ट की मानें तो कोविड, स्वाइन फ्लू, एशियन फ्लू, इबोला, जीका वायरस, एवियन इंफ्लूंजा समेत और भी न जानें ऐसी कितनी महामारी हैं जो पशु-पक्षियों से इंसानों में आई हैं. इसकी पूरी एक लम्बी फेहरिस्त है. हालांकि एक रिपोर्ट के मुताबिक 1.7 मिलियन वायरस जंगल में फैले होते हैं. इसमे से बहुत सारे ऐसे हैं जो जूनोटिक हैं. जूनोटिक के ही दुनिया में हर साल एक बिलियन केस सामने आते हैं और इससे एक मिलियन मौत हो जाती हैं. लेकिन अब वर्ल्ड लेवल पर इस पर काबू पाने की कवायद शुरू हो गई है. भारत में भी एनओएचएम के नाम से अभियान शुरू कर दिया गया है.. हालांकि शुरुआती दौर में यह पहले पांच राज्यों से शुरू किया गया था. लेकिन अब जी-20 महामारी कोष से बजट मिलने के बाद इसे देशभर में चलाया जाएगा.
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नेशनल और स्टेदट लेवल पर महामारी की जांच को संयुक्त टीम बनेगी. महामारी फैलने पर संयुक्तं टीम रेस्पांस करेगी.
नेशनल लाइव स्टॉक मिशन की तरह से सभी पशुओं के रोग की निगरानी का सिस्टम तैयार किया जाएगा.
मिशन के रेग्यूलेटरी सिस्टम को मजबूत बनाने पर काम होगा. जैसे नंदी ऑनलाइन पोर्टल और फील्ड परीक्षण दिशा निर्देश हैं.
महामारी फैलने से पहले लोगों को उसके बारे में चेतावनी देने के लिए सिस्टम बनाने पर काम होगा.
नेशनल डिजास्टर मैंनेजमेंट अथॉरिटी के साथ मिलकर जल्द से जल्द महामारी की गंभीरता को कम करना.
प्राथमिक रोगों के टीके और उसका इलाज विकसित करने के लिए तय अनुसंधान कर उसे तैयार करना.
रोग का पता लगाने के तय समय और संवेदनशीलता में सुधार के लिए जीनोमिक और पर्यावरण निगरानी फार्मूले तैयार करना जैसे काम होंगे.
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