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राजस्थान में ऑनलाइन होगी पशुधन गणना, 2024 के ल‍िए शुरू हुई तैयार‍ियां

राजस्थान में ऑनलाइन होगी पशुधन गणना, 2024 के ल‍िए शुरू हुई तैयार‍ियां

राजस्थान में अगली पशुधन उत्पाद गणना ऑनलाइन की जाएगी. पशुपालन विभाग की एक बैठक में इस बारे में सूचना दी गई है. ये पशुगणना अगले साल यानी 2024 में की जाएगी. विभाग के संयुक्त सचिव जितेन्द्र कालरा ने बताया कि 2024 में 21वीं पशुधन गणना की जाएगी. बता दें कि प्रदेश में सबसे पहली पशुधन गणना साल 1919 में की गई थी. इसके बाद से अब तक 20 बार यह गणना हो चुकी है. 

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राजस्थान में  2024 में की जायेगी 21 वीं पशुधन गणना. फोटो- माधव शर्मा राजस्थान में 2024 में की जायेगी 21 वीं पशुधन गणना. फोटो- माधव शर्मा

राजस्थान में अगली पशुधन उत्पाद गणना ऑनलाइन की जाएगी. पशुपालन विभाग की एक बैठक में इस बारे में सूचना दी गई है. ये पशुगणना अगले साल यानी 2024 में की जाएगी. विभाग के संयुक्त सचिव जितेन्द्र कालरा ने बताया कि 2024 में 21वीं पशुधन गणना की जाएगी. बता दें कि प्रदेश में सबसे पहली पशुधन गणना साल 1919 में की गई थी. इसके बाद से अब तक 20 बार यह गणना हो चुकी है. 
इसके अलावा इस बैठक में अधिकारियों को पशु-पक्षियों में होने वाले रोग, प्रकोपों पर नियंत्रण करने और इनकी रोकथाम के लिए प्रभावी कार्ययोजना बनाने के निर्देश भी दिए गए. पशुपालन विभाग के शासन सचिव कृष्ण कुणाल ने कहा क‍ि रोगों की रोकथाम की कार्ययोजना होगी तो पशुपालकों को होने वाली हानि से समय रहते बचाया जा सके. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जीव रक्षा के लिए निरंतर प्रयासरत है, जिसके लिए विभिन्न योजनाएं राज्य स्तर पर संचालित की जा रही है. राजस्थान में नीतियों के प्रभावी क्रियान्वयन की वजह से ही राज्य पशुपालन के क्षेत्र में विश्व पटल पर अपनी विशेष पहचान बनाए हुए है.

लंपी प्रभावित पशुपालकों को 40 हजार रुपये

कुणाल जयपुर स्थित पशुधन भवन में विभागीय योजनाओं की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे. उन्होंने विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं की प्रगति पर विस्तार से चर्चा कर लंबित मामलों के शीघ्र निस्तारण के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया. उन्होंने कहा कि विभाग पशुपालकों के हित में काम कर रही है.

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पिछले महीने पेश हुए बजट में मुख्यमंत्री गहलोत ने लंपी से प्रभावित पशुपालकों को 40 हजार रुपये प्रति मवेशी देने की घोषणा की थी. विभाग इसकी सूची बनाने में जुटा हुआ है. इस मौके पर कुणाल ने राज्य में विभाग द्वारा पशु नस्ल सुधार में किए जा रहे प्रयासों की विस्तृत जानकारी ली. उन्होंने कहा कि राज्य में पशुधन अच्छी तादाद में है. अगर बेहतर पशुपालन की दिशा में उन्नत नस्लीय पशुधन विकसित की जाती हैं तो निश्चित तौर पर पशुपालकों की आय में बढ़ोतरी  होगी.

उन्नत नस्लीय पशुधन से होगा उन्नत पशुपालन

कुणाल ने विभाग द्वारा नस्ल सुधार में किये जा रहे विभिन्न प्रयासों एवं योजनाओं की जानकारी प्राप्त कर अधिकारियों को निर्देशित किया कि बकरी पालन एवं कुक्कुट पालन में नस्लीय सुधार को प्राथमिकता दें. इससे आम पशुपालक लाभान्वित हो सकेंगे. उन्होंने कहा कि अधिकारी अन्य राज्यों में नस्लीय सुधार में किये जा रहे प्रयासों के बारे में जानें और राज्य में नस्ल सुधार के कार्यक्रम को प्राथमिकता से पूरा करें. 

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राज्य में पशुओं में होने वाली बीमारियों का शत प्रतिशत टीकाकरण

पशुओं में होने वाले रोगों के प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए कहा कि विभाग विभिन्न रोगों की वैक्सीन एवं दवाइयों की उपलब्धतता समय पर सुनिश्चित करें. ताकि राज्य में पशुधन को किसी भी प्रकार की हानि का सामना न करना पड़े. उन्होंने इस मौके पर एफएमडी, ब्रूसेला,पीपीआर एवं लम्पी  जैसे टीकाकरणों की समीक्षा कर आवश्यक दिशा निर्देश दिए. इस मौके पर विभाग के निदेशक डॉ. भवानी सिंह राठौड़, राज्य पशुधन विकास बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. एन एम सिंह, वित्तीय सलाहकार मनोज सांडिल्य सहित वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे.

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