पूरी दुनिया में साल 2023 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स के रूप में मनाया जा रहा है. भारत में भी इसके तहत केन्द्र और राज्य सरकारें मोटे अनाजों को प्रमोट कर रही हैं. इसी बीच बीते कुछ महीनों में मोटे अनाजों से जुड़े सैंकड़ों स्टार्टअप सामने आए हैं. मोटे अनाजों में रागी भी शामिल है. रागी से भी अब कई तरह के प्रोडक्ट बनाए जा रहे हैं. इसी तरह के प्रोडक्ट ओडिशा में कोरापुट जिले के रहने वाले जगन्नाथ चिनारी भी बना रहे हैं. उनके स्टार्टअप का नाम कोरापुट है, जो रागी से चाय, मिक्चर नमकीन, कुकीज, शुगर फ्री कुकीज, फिंगर स्टिक, नमकपारा, मीठे नमकपारा,रागी के साथ अजवाइन कुरकुरे और लिटिल मिलेट यानी कुटकी बना रहे हैं. चिनारी कहते हैं कि रागी चाय उनका सबसे स्पेशल प्रोडक्ट है. चूंकि ओडिशा में रागी बड़ी मात्रा में पैदा होती है.
चिनारी से किसान तक ने रागी मिलेट से चाय बनाने की पूरी प्रक्रिया समझने की कोशिश की. चिनारी बताते हैं कि रागी की चाय पत्ती बनाने का 20-25 दिन का प्रोसेस होता है. इस प्रोसेस के बाद ही यह चाय का टेस्ट देती है. यह एकदम निकोटिन फ्री होती है. चिनारी बताते हैं कि रागी की चाय के लिए गर्म पानी में रागी की पत्ती, हल्का नींबू और गुड़ डाला जाता है. इसके बाद यह बिल्कुल लेमन टी की तरह दिखने लगती है.
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नींबू का उपयोग रागी के हल्के कड़वेपन को दूर करने के लिए किया जाता है. साथ ही गुड़ स्वाद के लिए काम में लेते हैं. साथ ही इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसे पीने के बाद लोगों को इसकी लत नहीं लगती. जबकि हमारे देश में लोगों को चाय की लत है.
रागी की चाय कई बीमारियों का इलाज भी है. चिनारी कहते हैं कि रागी को किसी भी रूप में खाने से शरीर को कई पोषक तत्व मिलते हैं. रागी चाय से हार्ट मरीजों के लिए काफी फायदेमंद है. ये चाय पहले कोलोस्ट्रॉल को कम करता है. महिलाओं में बोन डेन्सिटी की समस्या को खत्म करती है.
साथ ही रागी चाय नर्वस सिस्टम को भी ठीक करती है. क्योंकि रागी में फाइबर की मात्रा काफी होती है इसीलिए यह पेट को भी साफ करने का काम करता है. खून को भी रागी साफ करने का काम करता है. अगर लोग लगातार रागी के बने प्रोडक्ट या चाय पीते हैं तो उन्हें इन बीमारियों से निजात मिल जाएगी.
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चिनारी ने किसान तक को बताया कि ओडिशा में किसानों को रागी बेचने पर एमएसपी का भाव मिलता है. फिलहाल यह भाव 36.75 रुपये प्रति किलो का है. क्या बाजार में यह आसानी से उपलब्ध है? इस सवाल के जवाब में चिनारी कहते हैं कि धीरे-धीरे इसका बाजार बढ़ रहा है.
उन्होंने बताया कि सरकार भी मोटे अनाजों को अच्छे स्तर पर प्रमोट कर रही है. इसका फायदा मिलेट उगाने वाले किसान और इसके उत्पाद बना रहे स्टार्टअप्स को मिल रहा है. सरकारी प्रोत्साहन से हमें बिजनेस टू बिजनेस लिंकेज मिल रहा है. इससे हमारे उत्पाद दूसरे राज्यों में भी पहुंच रहे हैं.
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