Disease of Goats: बकरियों के लिए जानलेवा हैं ये 5 बीमारियां, जानें कब लगवाएं वैक्सीन, पढ़ें डिटेल 

Disease of Goats: बकरियों के लिए जानलेवा हैं ये 5 बीमारियां, जानें कब लगवाएं वैक्सीन, पढ़ें डिटेल 

Vaccination for Goat Disease गोट एक्सपर्ट के कुछ ऐसे टिप्स हैं जिन्हें अपनाकर बकरियों की मृत्यु दर को कम किया जा सकता है. साथ ही वक्त से बकरियों का वैक्सीनेशन करा कर खुरपका, बकरी की चेचक, बकरी की प्लेग जैसी बीमारियों समेत पैरासाइट से बकरियों को बचाया जा सकता है. जरूरत बस वक्त रहते अलर्ट रहने की है. 

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Disease of Goats: बकरियों के लिए जानलेवा हैं ये 5 बीमारियां, जानें कब लगवाएं वैक्सीन, पढ़ें डिटेल स्टाल फीड करतीं जखराना नस्ल की बकरियां. फोटो क्रेडिट-किसान तक

Vaccination for Goat Disease दूध और मीट के लिए पाले जाने वाले पशुओं की कुछ खास बीमारियें का अभी तक कोई इलाज नहीं खोजा जा सका है. हालांकि ऐसी बीमारियों को वैक्सीन (टीका) से कंट्रोल किया जा रहा है. ऐसी ही पांच बीमारियां ऐसी हैं जो बकरियों में भी होती हैं. क्योंकि बकरियों को दूध से ज्यादा मीट के लिए पाला जाता है इसलिए इन बीमारियों पर खास ध्यान दिया जाता है. हालांकि बकरे-बकरियों को दूसरे पशुओं के मुकाबले ब हार्ड इम्यूनिटी का माना जाता है. इसी के चलते ऐसा कहा जाता है कि गाय-भैंस को कोई भी बीमारी जल्दी लग सकती है, लेकिन बकरी को नहीं. 

यही वजह है कि बकरी पालन की एक खास वजह ये भी है. बकरी पालन में बीमारियों का जोखि‍म बहुत कम होता है. गोट एक्सपर्ट की मानें तो बीमारियों के बचे हुए जोखि‍म को भी वक्त से वैक्सीनेशन करा कर खत्म और कंट्रोल किया जा सकता है. बकरी पालन में मुनाफा बढ़ाने के लिए जरूरी है कि बकरयिों की मृत्यु दर को कम किया जाए. और ऐसा करने के लिए जरूरी है कि उन्हें वक्त से टीके लगवाए जाएं. 

ये है 5 बीमारियों के वैक्सीनेशन का प्लान 

  • खुरपका- तीन से चार महीने की उम्र पर. बूस्ट र डोज पहले टीके के तीन से चार हफ्ते बाद. छह महीने बाद दोबारा. 
  • बकरी चेचक- तीन से पांच महीने की उम्र पर. बूस्टर डोज पहले टीके के एक महीने बाद. हर साल लगवाएं. 
  • गलघोंटू- तीन महीने की उम्र पर पहला टीका. बूस्टूर डोज पहले टीके के 23 दिन या 30 दिन बाद. 
  • पीपीआर (बकरी प्लेाग)- तीन महीने की उम्र पर. बूस्टकर की जरूरत नहीं है. तीन साल की उम्र पर दोबारा लगवा दें. 
  • इन्टेररोटोक्सपमिया- तीन से चार महीने की उम्र पर. बूस्टकर डोज पहले टीके के तीन से चार हफ्ते बाद. हर साल एक महीने के अंतर पर दो बार.  

बकरे-बकरियों में आम हैं ये बीमारियां 

  • कुकडिया रोग- दो से तीन महीने की उम्र पर दवा पिलाएं. तीन से पांच दिन तक पिलाएं. छह महीने की उम्र पर दवा पिलाएं. 
  • डिवार्मिंग- तीन महीने की उम्र में दवाई दें. बरसात शुरू होने और खत्मे होने पर दें. सभी पशुओं को एक साल दवा पिलाएं. 
  • डिपिंग- दवाई सभी उम्र में दी जा सकती है. सर्दियों के शुरू में और आखिर में दें. सभी पशुओं को एक साल नहलाएं. 

बीमारी से बचाने को कराएं ये रेग्यू्लर जांच

ब्रुसेल्लोलसिस- छह महीने और 12 महीने की उम्र पर जांच कराएं. जो पशु संक्रमित हो चुका है उसे गहरे गड्डे में दफना दें.  
जोहनीज (जेडी)- छह महीने और 12 महीने की उम्र पर जांच कराएं. संक्रमित पशु को फौरन ही झुंड से अलग कर दें. 

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