उत्तर प्रदेश सरकार अब अनुसूचित जाति के गरीब और भूमिहीन पशुपालकों के लिए नई उम्मीद लेकर आई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में शुरू की गई नई बकरी पालन योजना सिर्फ पशुधन बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य रोजगार, पोषण और आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा देना है. इस योजना का मकसद है कि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले आर्थिक रूप से कमजोर अनुसूचित जाति के लोगों को आत्मनिर्भर बनाया जाए. खासतौर से वे लोग जो भूमिहीन, बेरोजगार और पशुपालन से जुड़े हैं, उन्हें बकरी पालन का प्रशिक्षण देकर आजीविका का मजबूत साधन दिया जाएगा. बकरी का दूध और मांस दोनों ही पोषण और आमदनी के अच्छे स्रोत माने जाते हैं. इससे कुपोषण में भी कमी आएगी.
राज्य सरकार की योजना के तहत प्रदेश के सभी 75 जिलों में हर साल 750 बकरी पालन इकाइयां स्थापित की जाएंगी. हर जिले में 10 इकाइयां बनेंगी. एक इकाई में मिलेगा 1 नर बकरा और 5 मादा बकरियाँ
इस योजना का लाभ लेने के लिए कुछ जरूरी योग्यताएं हैं:
इस योजना में सरकार द्वारा दी गई राशि से निम्नलिखित सुविधाएँ दी जाएंगी:
इससे लाभार्थियों को दूध, बकरी के बच्चे और मांस बेचकर नियमित आमदनी का जरिया मिलेगा.
राज्य सरकार ने योजना को सही ढंग से लागू करने के लिए सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए हैं.
पशुधन विभाग के अनुसार, यह योजना पिछड़े वर्गों के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए मील का पत्थर बनेगी. इससे बकरी के दूध और मांस का उत्पादन भी बढ़ेगा, जिससे प्रदेश की आर्थिक स्थिति को मजबूती मिलेगी.
कई जिलों में तैयारी शुरू हो चुकी है. जल्द ही लाभार्थियों की सूची तैयार हो जाएगी. अगले महीने से प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू होंगे और सितंबर तक बकरियों का वितरण किया जाएगा.
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