बिहार और यूपी में इन दिनों प्रचंड गर्मी का प्रकोप देखा जा रहा है. हालांकि अब कुछ दिनों में इन दोनों ही राज्यों में मॉनसून की एंट्री हो जाएगी. इसके साथ ही खरीफ फसलों और सब्जियों की खेती भी शुरू हो जाएगी. दरअसल देश में इस साल समय से दो दिन पहले दस्तक देने के बाद मॉनसून ने तेज रफ्तार पकड़ ली है. जहां हर बार पूर्वोत्तर के राज्यों में मॉनसून 10 जून को दस्तक देता था. वहीं इस बार 3 जून से ही इन राज्यों में मॉनसून की बारिश होने लगी है. ऐसे में उम्मीद ये जताई जा रही है कि बिहार और उत्तर प्रदेश में भी मॉनसून की एंट्री समय से पहले हो सकती है.
आपको बता दें कि इन दोनों राज्यों में मॉनसून आमतौर पर 10 से 15 जून तक प्रवेश करता है. मौसम विभाग ने कहा है कि बंगाल की खाड़ी से आने वाली तेज हवाएं, अगले हफ्ते तक बारिश ला सकती हैं. दरअसल इस बार मॉनसून ने केरल और पूर्वोत्तर में एक साथ दस्तक दी है. पूर्वोत्तर के जरिए भी मॉनसून की देश के पूर्वी इलाकों में प्रवेश की संभावना बनी हुई है.
मौसम विभाग के मुताबिक, पांच से सात जून के बीच पश्चिमी विक्षोभ बनने की संभावना है. इस वजह से उत्तर- पश्चिम भारत के मैदानी इलाकों में कुछ स्थानों पर वर्षा, आंधी चलने की संभावना है. यह स्थिति राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में होने की संभावना है. साथ ही ये भी कहा गया है कि उत्तर-पश्चिम भारत में उष्ण लहर में कमी का दौर जारी रहेगा.
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बिहार-उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश ये ऐसे राज्य हैं, जहां पर मॉनसून के पहले खेतों की तैयारी करनी जरूरी होती है. ऐसे में मई और जून के महीने यानी मॉनसून की बारिश से पहले संपूर्ण रूप से खरपतवार नियंत्रण, मिट्टी जनित रोग, कीड़ा जनित रोगों का निपटारा कर लेना चाहिए. वहीं धान फसल हो या सब्जी की खेती या फिर बागवानी, इसे करने से पहले ग्रीष्मकालीन जुताई बहुत आवश्यक होता है. खेतों की जुताई करते समय कम से कम डेढ़ से 2 फीट की जुताई जरूरी होती है. इससे यह फायदा होता है कि मिट्टी पलटने के साथ ही बहुत सारे ऐसे खरपतवार भी नष्ट हो जाते हैं जो खरीफ फसलों के लिए नुकसानदेह होते हैं.
मॉनसून से पहले खेतों की जुताई भी इसलिए आवश्यक मानी जाती है क्योंकि मृदा जनित कीट का लार्वा और अंडा जमीन के बाहर आ जाता है जिसे पक्षी खा जाते हैं. इससे वे नष्ट हो जाते हैं जिससे बहुत आसानी से खरपतवार नियंत्रण, रोग नियंत्रण और कीट नियंत्रण का काम हो जाता है. फल और फूल लगाने वाले किसानों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि मेंड़ नाली निर्माण करके फल और फूलों की खेती करनी चाहिए जिससे पानी का जमाव न हो. नाली बनाने से बारिश के दिनों में अधिक बारिश होने पर फल और फूल को ज्यादा नुकसान नहीं होगा.