काली मिर्च भोजन को टेस्टी और स्पाइसी बनाने के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवा के रूप में भी काम करती है. काली मिर्च का वैज्ञानिक नाम पाइपर नाइग्रम है और इसे पेपरकॉर्न भी कहा जाता है. काली मिर्च का उपयोग खाने में मसाले के तौर पर किया जाता है. इसलिए लोग इस पौधे को घर पर लगाना पसंद करते हैं. काली मिर्च (ब्लैक पेपर) का पौधा बेल के रूप में उगने वाला बहुवार्षिक पौधा है, जो कई वर्षों तक जीवित रहता है. दरअसल भारत के मसालों की प्रसिद्धि भारत ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर तक है. हर साल भारत से बड़ी मात्रा में मसालों का निर्यात किया जाता है, जो कि यूरोप समेत अन्य देशों तक पहुंचता है. पर क्या आप जानते हैं कि भारत के किस राज्य को "मसालों का बगीचा" कहा जाता है? आइए जानते हैं.
काली मिर्च का उत्पादन देश के लगभग सभी राज्यों में किया जाता है, लेकिन देश के सिर्फ तीन राज्य ऐसे हैं जो अकेले 90 प्रतिशत काली मिर्च का उत्पादन करते है. नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार वे तीन राज्य, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु हैं.
काली मिर्च उत्पादन के मामले में, कर्नाटक देश के अन्य सभी राज्यों में सबसे आगे है. यहां की जलवायु और मिट्टी काली मिर्च और अन्य मसालों की खेती के लिए काफी अनुकूल है. इस वजह से सबसे अधिक काली मिर्च का उत्पादन कर्नाटक में होता है. नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार देश में कुल काली मिर्च उत्पादन में कर्नाटक का अकेले 58 फीसदी की हिस्सेदारी है.
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काली मिर्च उत्पादन के मामले में कर्नाटक जहां सबसे आगे है. तो वहीं उसके बाद दूसरे स्थान पर केरल है. यहां के किसान अधिक मात्रा में काली मिर्च उगाते है. यहां कुल 32.13 फीसदी काली मिर्च का उत्पादन किया जाता है, यही वजह है कि केरल को भारत का मसाला उद्यान यानी मसालों का बगीचा कहा जाता है. वहीं काली मिर्च के उत्पादन में तीसरे पायदान पर तमिलनाडु है. यहां काली मिर्च का 1.90 फीसदी उत्पादन किया जाता है. इसके अलावा कई अन्य राज्य और भी हैं, जहां बचे हुए 10 फीसदी काली मिर्च का उत्पादन किया जाता है.
भारत के कई राज्यों में अलग-अलग मसालों की खेती बड़े पैमाने पर होती है. वहीं भारतीय घरों में मसालों का अहम स्थान होता है. इसके बगैर हम किसी भी तरह के स्वादिष्ट व्यंजन की कल्पना नहीं कर सकते हैं. इलायची, काली मिर्च, धनिया, हरी मिर्च, तेजपत्ता और लहसुन ऐसे मसाले हैं, जो हर घर में इस्तेमाल किए जाते हैं. ये सभी मसाले भोजन को टेस्टी बनाने के साथ- साथ आयुर्वेदिक दवा के रूप में भी काम आते हैं.
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