सरकार का दावा है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत प्रति 100 रुपये के प्रीमियम पर किसानों को 514 रुपये का क्लेम दिया जाता है. सरकार का यह दावा ऐसे समय में सामने आया है जब देश के अधिकांश हिस्सों में बमौसम बारिश से फसलों का भारी नुकसान हुआ है और किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PM Fasal Bma Yojana) के तहत उचित मुआवजे की मांग कर रहे हैं. एक तरफ सरकार किसानों को समुचित दावा भुगतान की बात कर रही है, तो दूसरी ओर कई किसानों की शिकायत है कि बीमा कंपनियां उनसे प्रीमियम के तौर पर पैसे तो लेती हैं, लेकिन जब क्लेम सेटलमेंट की बारी आती है, तो किसानों को बहुत कम राशि दी जाती है. ऐसे में सरकार का दावा कि प्रति 100 रुपये के प्रीमियम पर 514 रुपये मुआवजा दिया जाता है, अपने आप महत्वपूर्ण बात है.
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को संसद में जानकारी देते हुए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के बारे में बताया. कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि किसान अगर फसल बीमा के लिए 100 रुपये का प्रीमियम देता है, तो उसे क्लेम या मुआवजे के तौर पर 514 रुपये की राशि दी जाती है. अभी तक के आंकड़ों के आधार पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सदन में यह जानकारी दी.
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, PMFBY की शुरुआत साल 2016 में की गई. तब से लेकर अब तक लगभग 38 करोड़ किसानों ने इस योजना में रजिस्ट्रेशन कराया है. साथ ही, अब तक 12.37 करोड़ किसानों ने क्लेम लिया है. कृषि मंत्री राज्यसभा में यह जानकारी दे रहे थे.
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तोमर ने आगे कहा, इस अवधि के दौरान किसानों ने फसल बीमा के प्रीमियम के तौर पर 25,252 करोड़ रुपये जमा किए. इस राशि के लिए किसानों को 1,30,015 करोड़ रुपये का क्लेम जारी किया गया. इस तरह प्रति 100 रुपये के प्रीमियम को किसानों को 514 रुपये का क्लेम दिया गया है.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत इस मकसद के साथ की गई थी ताकि किसानों को महंगे प्रीमियम से बचाया जाए और अधिक से अधिक राशि के बीमा की सुविधा दी जाए. यानी कम प्रीमियम में अधिक सम इंश्योर्ड की सुविधा देने के लिए सरकार ने इस योजना की शुरुआत की है. इसके लिए सरकार ने अपने पैनल में कुछ जनरल बीमा कंपनियों को शामिल किया है.
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कंपनियों का चयन किसी खास प्रदेश के कुछ जिलों के लिए किया जाता है. इन कंपनियों का चयन राज्य सरकारें करती हैं और इसके लिए नियमों के तहत बोली निकाली जाती है. किसी राज्य में कितने जिले और किन-किन फसलों का बीमा किया जाना है, इसका फैसला भी राज्य सरकारें करती हैं. राज्यों से मिले फीडबैक के आधार पर सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में कुछ-कुछ संशोधन करती है ताकि किसानों को अधिक से अधिक सुविधा दी जा सके.