भारत जो एक कृषि प्रधान देश हैं, वहां पर फसलें अधिकतर मौसम पर ही आधारित होती हैं. कभी-कभी मौसम या फिर दूसरी वजहों से अगर फसल चौपट हो जाती है तो किसान का बड़ा नुकसान हो जाता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार की तरफ से फसल बीमा योजना की शुरुआत की गई थी. आज देश के कई किसान इसका फायदा उठा रहे हैं. इस योजना की वजह से किसानों पर खेती के लिए कर्ज का बोझ कम होता है. साथ ही खराब मौसम से भी उनकी रक्षा होती है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 जनवरी 2016 को इस योजना को लॉन्च किया था. सरकार ने फैसला किया था कि बीमा दावे को जल्द से जल्द निपटाया जाए और किसानों के लिए इसे आसान बनाए जाए. यह योजना कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की देखरेख में चलाई जाती है. यह योजना लेने वाले किसानों को खरीफ की फसल के लिए सिर्फ दो प्रतिशत और रबी की फसलों के लिए 1.5 प्रतिशत प्रीमियम का ही भुगतान करना होता है. जबकि ऐसे किसान जो बागवानी से जुड़े हैं, उन्हें सिर्फ 5 प्रतिशत प्रीमियत का ही भुगतना करना होगा.
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किसानों को प्रीमियम बहुत ही कम दरों पर अदा करना होता है. बाकी प्रीमियम का भुगतान सरकार की तरफ से होता है. साथ ही साथ सरकारी सब्सिडी पर कोई भी ऊपरी सीमा नहीं है. भले ही बाकी प्रीमियम 90 फीसदी हो, इसका खर्च सरकार ही उठाएगी.
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किसानों को फसल बीमा के लिए हिजन डॉक्यूमेंट्स की जरूरत होगी उनमें:
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