Jharkhand News: पोटका में 35 साल से बन रही नहर, अब तक किसानों को ना पानी मिला ना मुआवजा, अब आंदोलन की तैयारी

Jharkhand News: पोटका में 35 साल से बन रही नहर, अब तक किसानों को ना पानी मिला ना मुआवजा, अब आंदोलन की तैयारी

35 साल पहले जब नहर का निर्माण शुरू हुआ था तो किसान काफी खुश थे और उन्हें उम्मीद थी कि जमीन के बदले मुआवजा भी मिलेगा और उनके खेतों में सिचाई के लिए पानी भी मिलेगा. पर स्वर्णरेखा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा आधा दर्जनों से अधिक गांव के ग्रामीण भुगत रहे हैं.

पोटका में अब नहीं बनी नहर (सांकेतिक तस्वीर)पोटका में अब नहीं बनी नहर (सांकेतिक तस्वीर)
क‍िसान तक
  • Jamshedpur,
  • Jul 16, 2024,
  • Updated Jul 16, 2024, 12:52 PM IST

हिंदी में एक मशहूर कहावत है, ना घर के न घाट के. झारखंड के जमशेदपुर जिला अंतर्गत पोटका विधानसभा के 10 गांवों से अधिक किसानों पर यह कहावत बिल्कुल फिट बैठती है. किसानों ने पानी की उम्मीद में नहर बनाने के लिए अपने खेत दिए, पर आज ना ही नहर बनी और ना ही खेत बचे. किसान अब परेशान हैं कि जाएं तो जाएं कहां. दरअसल जमशेदपुर के पोटका में बन रही नहर अब किसानों के लिए सफेद हाथी साबित हो रही है. पिछले 35 वर्षों से इस नहर का निर्माण कार्य चल रहा है. लेकिन अभी तक इसका निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है. इसके चलते किसान काफी परेशान हैं. 

35 साल पहले जब नहर का निर्माण शुरू हुआ था तो किसान काफी खुश थे और उन्हें उम्मीद थी कि जमीन के बदले मुआवजा भी मिलेगा और उनके खेतों में सिचाई के लिए पानी भी मिलेगा. पर स्वर्णरेखा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा आधा दर्जनों से अधिक गांव के ग्रामीण भुगत रहे हैं. आज तक नहर का निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है. कहीं-कहीं आधा अधूरा नहर बनाकर छोड़ दिया गया है. कुजू से माटकू तक बनने वाली इस नहर परियोजना की लागत अरबों रुपये थी. पर अधूरे निर्माण के कारण आज तक किसानों और ग्रामीणों को इसका मुआवजा भी नहीं मिल पाया है. इसके कारण ग्रामीण गुस्से में हैं और उग्र आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं, जबकि विभाग के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं. 

ये भी पढ़ेंः कृषि का इंकलाब..! कोरोना काल में खेती ने बचाई लाज, रोजगार देने में अव्‍वल रहा एग्रीकल्‍चर, RBI की रिपोर्ट में खुलासा

पानी के आस में पथराई आंखें 

ग्राम प्रधान धीरेंद्र प्रधान ने बताया कि जमशेदपुर से 20 किलोमीटर दूर पोटका के कुजू से माटकू तक स्वर्णरेखा परियोजना के तहत नहर का निर्माण होना था. लेकिन 35 सालों में 35 किलोमीटर नहर का भी निर्माण नहीं हो पाया. एक-दो किलोमीटर नहर का निर्माण होने के बाद उसका काम ठप पड़ा हुआ है. काम पर लगी मशीनें जंग खा रही हैं जबकि जो नहर बनी थी उसमें भी दरारें आ रही हैं. नहर निर्माण का काम शुरू होने के वक्त किसानों की आंखों में जो खुशी थी, आज वही खुशी आंसू बनकर बह रही है क्योंकि ना ही उनके खेत में पानी पहुंचा और ना ही जमीन के बदले मुआवजा मिला है. ग्रामीण बताते हैं कि नहर शुरू होने से वो पूरे साल खेती कर सकते थे, पर अब वो बीच में फंस चुके हैं. 

किसी ने नहीं सुनी फरियाद

परमिता सरदार ने कहा कि नहर का काम पूरा नहीं हुआ और ग्रामीणों को अब तक उनके जमीन का मुआवजा भी नहीं मिला है. इसके कारण ग्रामीण आक्रोशित हैं. ग्रामीणों का साफ कहना है कि इस नहर के चलते उनकी जमीन चली गई. समय पर काम पूरा हो जाता तो समय से पानी मिल जाता और अच्छे से खेती कर सकते थे. लेकिन काम बंद होने के कारण अब तक मुआवजा भी नहीं मिल पाया है. मौसमी सरदार ने कहा कि 35 सालों में गांव के कई लोग नहर का इंतजार करते-करते बूढ़े हो गए हैं. अब गांव के लोगों बैठक कर रहे हैं और उग्र आंदोलन करने पर विचार कर रहे हैं. गांव के लोगों का कहना है कि इस मुद्दे को लेकर कई बार विधायक और सांसद के पास गए, पर किसी ने उनकी फरियाद नहीं सुनी.

ये भी पढ़ेंः Himachal Pradesh: सोलन में भारी बारिश से खराब हुई टमाटर की फसल, भरी महंगाई में किसानों का भारी नुकसान

सात साल में बननी थी नहर

हालांकि इस मामले को लेकर कोल्हान के पूर्व आयुक्त सह बीजेपी नेता विजय सिंह ने गंभीरता दिखाई है. किसानों के साथ गांव में बैठक कर इस मामले पर सरकार और विभाग को घेरने की रणनीति तैयार की है. विजय कुमार का कहना है कि जब मैं आयुक्त था तो इस परियोजना की शुरुआत हुई थी. कई करोड़ की लागत से बन रही इस नहर का निर्माण सात वर्षों में पूरा होना था. लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के चलते आधा अधूरा नहर बनाकर छोड़ दिया गया है. अब तक न ही ग्रामीणों को मुआवजा मिला है और ना ही मजदूरों को पेमेंट मिला है. (अनूप सिन्हा की रिपोर्ट)

 

MORE NEWS

Read more!