केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की ओर से प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना को मंजूरी दिए जाने पर खुशी जताई. उन्होंने किसानों की ओर से प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया और इसे महत्वपूर्ण फैसला बताते हुए कहा कि खाद्यान्न में हमारा उत्पादन 40 प्रतिशत से ज़्यादा बढ़ा है. फलों, दूध, सब्जियों में भी उत्पादन ऐतिहासिक रूप से बढ़ा है, लेकिन फिर भी एक राज्य की उत्पादकता और दूसरे राज्य की उत्पादकता में काफी अंतर है. राज्यों में भी एक ज़िले की दूसरे ज़िले से उत्पादकता कम है, इसलिए जिन ज़िलों में उत्पादकता कम है या केसीसी पर किसान लोन बहुत कम लेते हैं, ऐसे ज़िलों को हम चिह्नित करेंगे.
चौहान ने आज दिल्ली में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि 100 जिलों में 11 विभागों की योजनाओं को कन्वर्जन के माध्यम से पूरी तरह से लागू करने की कोशिश करेंगे. न केवल केंद्र सरकार की योजनाओं, बल्कि राज्य सरकार की योजनाओं को भी कन्वर्जन करके पूरी तरह से लागू करेंगे. इसमें कोई काम करना चाहेगा तो उसे भी जोड़ेंगे और लगभग 100 ज़िलों को इस आधार पर चिह्नित करेंगे.
उन्होंने कहा कि हर राज्य का कम से कम एक जिला इसमें जरूर होगा. इसकी तैयारी शुरू हो गई है. हर जिले के लिए एक नोडल अफसर होगा. इसी जुलाई के महीने में यह तय कर लिया जाएगा कि कौन से जिले और नोडल अफसर इसमें होंगे. अगस्त में प्रशिक्षण शुरू हो जाएगा. इसके लिए जागरूकता भी बढ़ाना पड़ेगी.
चौहान ने कहा कि नीति आयोग को कुछ मापदंडों के आधार पर ज़िलों की प्रगति दिखाना होगी. नीति आयोग मॉनिटरिंग के लिए डैशबोर्ड बनाएगा. इस अभियान को अक्टूबर के रबी सीजन से शुरू कर देंगे. अभियान के लिए एक जिला स्तर की समिति बनेगी, जिसे ग्राम पंचायत या कलेक्टर द्वारा चलाया जाएगा. उनके साथ ही विभागों के अधिकारी, प्रगतिशील किसान आदि की भी टीम बनेगी, जो फैसले करेगी. केवल जिले में ही नहीं, राज्य में भी टीम बनेगी.
राज्य की टीम की जिम्मेदारी होगी कि ज़िले में योजनाओं का सही से कर्न्वजेंस हो. केंद्रीय स्तर पर दो टीम बनेगी, एक केंद्रीय मंत्रियों की और एक सचिव की अध्यक्षता में अन्य विभागों के अधिकारियों की टीम बनेगी. इसमें विविधता के स्तर पर काम करेंगे.
शिवराज सिंह ने कहा कि कुल मिलाकर हमारी कोशिश यही रहेगी कि जिन ज़िलों में उत्पादकता कम है, उनमें केवल नेशनल एवरेज नहीं, बल्कि सर्वोच्च उत्पादकता कैसे बढ़े और फसलों के साथ - साथ फल, मछली उत्पादन, मधुमक्खी पालन, पशु पालन, कृषि वानिकी आदि सभी को भी ध्यान में रखा जाएगा. चौहान ने कहा कि यह एक बड़ा अभियान है.