केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को छह वर्षों की अवधि के लिए प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना को मंजूरी दी है. योजना के तहत 24,000 करोड़ रुपये के वार्षिक खर्च के साथ 100 जिले शामिल होंगे. केंद्रीय बजट में घोषित यह कार्यक्रम 36 मौजूदा योजनाओं को एकीकृत करेगा और फसल विविधीकरण और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाने को बढ़ावा देगा. केंद्रीय कैबिनेट में लिए गए निर्णय की जानकारी साझा करते हुए, सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना फसल कटाई के बाद भंडारण क्षमता बढ़ाएगी, सिंचाई सुविधाओं में सुधार करेगी और कृषि उत्पादकता को बढ़ाएगी.
इस योजना में कम उत्पादकता, कम लोन वितरण और कम फसली तीव्रता वाले 100 जिलों का चयन किया जाएगा. हर राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में जिलों की संख्या निवल फसल क्षेत्र (नेट क्रॉप्ड एरिया) और परिचालन जोत (ऑपरेशनल होल्डिंग) के हिस्से पर आधारित होगी. इसमें इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि हर राज्य से कम से कम एक जिला योजना में शामिल हो. वहीं, योजना का मूल्यांकन के लिए हर जिले की प्रगति पर 117 संकेतकों के आधार पर हर महीने नजर रखी जाएगी और डैशबोर्ड के जरिए केंद्र सरकार इसकी निगरानी का काम करेगी. साथ ही नीति आयोग और नोडल अधिकारी समय-समय पर समीक्षा करेंगे.
योजना के प्रभावी नियोजन, कार्यान्वयन और निगरानी के लिए जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर समितियां गठित की जाएंगी. जिला कृषि और संबद्ध गतिविधि योजना को जिला धन धान्य समिति द्वारा अंतिम रूप दिया जाएगा, जिसमें प्रगतिशील किसान भी सदस्य होंगे. जिला योजनाएं फसल विविधीकरण, जल और मिट्टी स्वास्थ्य संरक्षण, कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता और प्राकृतिक और जैविक खेती के विस्तार के राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप होंगी.
जैसे-जैसे इन 100 जिलों में लक्षित परिणामों में सुधार होगा, देश के प्रमुख परफ़ॉर्मेंस संकेतकों के सापेक्ष समग्र औसत में वृद्धि होगी. इस योजना के परिणामस्वरूप उत्पादकता में वृद्धि होगी, कृषि और संबद्ध क्षेत्र में मूल्यवर्धन होगा, स्थानीय आजीविका का सृजन होगा और इस प्रकार घरेलू उत्पादन में वृद्धि होगी और आत्मनिर्भरता (आत्मनिर्भर भारत) हासिल होगी. जैसे-जैसे इन 100 जिलों के संकेतकों में सुधार होगा, राष्ट्रीय संकेतक स्वतः ही ऊपर की ओर बढ़ेंगे.