बिहार में मधुमक्खी पालन के जरिए किसानों की कमाई को दोगुना करने का प्रयास किया जा रहा है. इससे राज्य में शहद उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही किसानों को रोजगार का आसान जरिया मिलेगा. बिहार में मधुमक्खी पालन इसलिए भी किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है क्योंकि यहां पर लीची के बगान हैं. लीची के फूलों से बनने वाले शहद काफी मीठे होते हैं. साथ ही यहां पर सरसों की खेती भी पड़े पैमाने पर की जाती है. इसलिए मधुमक्खियों को शहद इकट्ठा करने के लिए परेशानी नहीं होती है. बिहार में अधिक से अधिक किसान शहद उत्पादन से जुड़ सकें, इसके लिए राज्य सरकार की तरफ से योजना भी चलाई जा रही है.
शहद उत्पादन के मामले में बिहार देश में चौथा स्थान रखता है. देश में कुल शहद उत्पादन का 12 प्रतिशत से अधिक शहद का उत्पादन बिहार में होता है. इसलिए इसे और बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. बिहार में मधुमक्खी पालन सब्सिडी योजना के तहत सामान्य वर्ग के किसान को मधुमक्खी पालन इकाई स्थापित करने के लिए पूरी लागत पर 75 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है. वहीं अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के मधुमक्खी पालकों को 90 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है. इस पहल का मुख्य उद्देश्य बिहार में शहद उत्पादन को बढ़ावा देना और किसानों को सब्सिडी देकर उनको आत्मनिर्भर बनाना है.
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योजना के तहत शहद के लिए कॉलोनी विकसित करने, मधुमक्खी बॉक्स बनाने, मधु निकालने वाला यंत्र खरीदने और प्रोसेसिंग करने के लिए सामग्री खरीद में 75 प्रतिशत का अनुदान दिया जाता है. जबकि एसटी-एससी वर्ग को के किसानों को 90 फीसदी तक अनुदान दिया जाता है. योजना के लिए आवेदन लिए जा रहे हैं. यह योजना बिहार सरकार के कृषि विभाग द्वारा संचालित की जा रही है. इस योजना का लाभ पहले आओ पहले पाओ की तर्ज पर दिया जा रहा है. सामान्य जाति के उम्मीदवारों के लिए प्रति बॉक्स 1000 रुपये देने होंगे जबकि एसटी-एससी वर्ग के किसानों को प्रति बॉक्स 400 रुपये देने होंगे. वर्ष 2023-24 के लिए डीबीटी पोर्टल पर रजिस्टर्ड किसान इस योजना का लाभ ले सकते हैं.
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