भारत के लिए हिंदी एक भाषा नहीं, बल्कि करोड़ों दिलों की धड़कन है. देश की गलियों, चौपालों, बाज़ारों और मंदिरों से लेकर संसद के गलियारों तक हिंदी का उपयोग स्थानीय भाषाओं के साथ होता रहा है. हालांकि, सरकारी विभागों द्वारा जारी आदेश में हिंदी के कठिन शब्दों के प्रयोग से लोगों को कभी-कभी इंग्लिश से ज्यादा कठिन उनकी अपनी मातृभाषा लगने लगती है. जिसके चलते कई सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारी ग्रामीण क्षेत्र सहित कम पढ़े लिखे लोग नहीं समझ पाते हैं. कुछ ऐसा ही हाल कृषि विभाग, मौसम विभाग द्वारा जारी सूचनाओं में भी देखने को मिलता है. लेकिन वैसे कठिन शब्दों की जगह सरल भाषा का उपयोग करने को लेकर इन दिनों बिहार के उपमुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा काफी एक्टिव दिख रहे हैं.
बीते दिनों जहां बिहार के कृषि मंत्री ने खरीफ की जगह शारदीय फसल, रबी की जगह वसंतीय फसल और ग्रीष्म कालीन फसल की जगह गरमा फसल के उपयोग करने की बात कही थी. वहीं, मंत्री विजय सिन्हा द्वारा केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री से ऋतु के अनुसार हिंदी भाषा में फसल मौसम का नामकरण करने की अपील की है. नाम में बदलाव को लेकर उनका कहना है कि स्थानीय लेबल पर जो भाषा बोली जाती है. वैसे हिंदी के सरल भाषा का उपयोग विभाग के कार्यों में किया जाए. ताकि लोग उसे आसानी से समझें.
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कृषि मंत्री हिंदी के सरल भाषा के उपयोग को लेकर जहां, काफी सक्रिय हैं. वहीं, उनका कहना है कि शारदीय शब्द खरीफ का, वसंतीय फसल रबी का और ग्रीष्म कालीन फसल गरमा का सरल भाषा है. राज्य सहित देश के किसान फसल कटनी के समय अनुसार अपनी मातृभाषा और नक्षत्रों का उपयोग सामान्यतः करते हैं. जिसको देखते हुए केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री, भारत सरकार शिवराज सिंह चौहान से वे पत्र के माध्यम से अपील करेंगे कि हमारे किसान जिस भाषा का उपयोग करते हैं. उन्हें उसी भाषा में जानकारी दी जाए. वहीं, मुगलकालीन भाषा अब हमें छोड़ देना चाहिए क्योंकि यह हमारी विरासत को कमजोर करती है.
मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में हम 'एक देश, एक कृषि, एक टीम' के मंत्र के साथ एक दिशा में आगे बढ़ेंगे और कृषि को विकसित बनाने के साथ साथ सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देंगे. आगे उन्होंने कहा कि राज्य के सभी जिलों में जिला स्तरीय कर्मशाला का आयोजन किया जा रहा है जहां जिलों को शारदीय फसलों के आच्छादन के लक्ष्य, उपादानों की स्थिति, बीज की व्यवस्था, केंदीय प्रायोजित और राज्य योजना की जानकारी दी जा रही हैं.
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