बिहार में लगातार पुल ढहने की घटनाओं ने एक बार फिर विवाद खड़ा कर दिया है. विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने राज्य सरकार पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया है कि आपराधिक लापरवाही के कारण उत्तर बिहार के कई जिलों में एक दर्जन पुल ढह गए हैं. दूसरी ओर अधिकारी यह दावा कर रहे हैं कि यह संभवतः राज्य भर में नदियों में चलाए गए गाद हटाने के अभियान का नतीजा है, जबकि विपक्ष राज्य सरकार पर अपने हमले से पीछे नहीं हट रहा है. 'इंडिया टुडे' की एक रिपोर्ट इस बारे में डिटेल्स में जानकारी दे रही है.
बिहार के सारण जिले में बुधवार और गुरुवार को दो दिनों के भीतर तीन पुल ढह गए. इनमें से दो पुल बुधवार को गंडक नदी पर एक किलोमीटर की दूरी पर बमुश्किल दो घंटे के अंतराल पर ढह गए. एक पुल जनता बाजार थाने के अंतर्गत दूधनाथ मंदिर के पास था जिसका निर्माण 2004 में तत्कालीन विधायक धूमल सिंह की अनुशंसा पर किया गया था जबकि दूसरा पुल ब्रिटिश काल का था. तीसरा पुल गुरुवार सुबह सारण में ढह गया. गंडकी नदी पर बने 15 साल पुराने पुल के ढहने से किसी के हताहत होने की खबर नहीं है. यह पुल सारण के गांवों को पड़ोसी सीवान जिले से जोड़ता था.
यह भी पढ़ें- दबंगों ने मशीन से रौंद दी 2 एकड़ की फसल, सदमे में किसान ने की आत्महत्या
वर्ष 2011 में तत्कालीन एनडीए सरकार के शासनकाल में बांके नदी पर पुरंदाहा राजबाड़ा और दलकावा नरकटिया इंदरवा को जोड़ने वाले पुल का एक पिलर क्षतिग्रस्त होने की खबर है. यह पुल ग्रामीण क्षेत्रों को सोनबरसा प्रखंड मुख्यालय से जोड़ने के लिए 25 लाख रुपये की लागत से बनाया गया था. बसंतपुर गांव के पास एक अन्य डायवर्जन भी क्षतिग्रस्त हो गया, जिससे स्थानीय यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
यह भी पढ़ें-प्याज के मुद्दे पर 'लीपापोती' में जुटी सरकार, महाराष्ट्र पहुंची केंद्रीय टीम तो किसानों ने निकाली भड़ास
27 जून से 30 जून के बीच किशनगंज में एक के बाद एक दो पुल गिर गए. ऐसी ही एक घटना ठाकुरगंज के खोशी डांगी गांव में हुई, जहां तत्कालीन सांसद तस्लीमुद्दीन के फंड से बने पुल का पिलर 27 जून को भारी बारिश और उसके बाद संबंधित नदी में पानी का बहाव बढ़ जाने के कारण क्षतिग्रस्त हो गया. स्थानीय मुखिया जवाहर सिंह ने बताया कि इससे करीब 50 हजार लोग प्रभावित होने का दावा किया जा रहा है.
किशनगंज के बहादुरगंज में श्रवण चौक के पास मरिया नदी पर एक और पुल टूटने की खबर है. इस पुल का निर्माण 2011 में एनडीए शासन के दौरान राज्य ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा 25 लाख रुपये की अनुमानित लागत से किया गया था. पूर्वी चंपारण के घोड़ासहन ब्लॉक के अंतर्गत एक और निर्माणाधीन पुल ढह गया. निर्माण कार्य धीरेंद्र कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा 1.5 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से किया जा रहा था और स्थानीय लोगों ने इसे गैर-जिम्मेदाराना निर्माण के लिए दोषी ठहराया.
यह भी पढ़ें-हाथरस घटना के बाद बाबा नारायण हरि का बयान-कुछ लोगों ने सभा में गड़बड़ कराई
1 जुलाई को मुजफ्फरपुर जिले के औराई ब्लॉक में बागमती नदी पर एक अस्थायी बांस का पुल क्षतिग्रस्त होने की खबर मिली, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. स्थानीय लोगों ने दावा किया कि वे हर साल अपने खर्च पर ऐसे पुल बनाते हैं जो इस मौसम में टूट जाते हैं.
सीवान जिले के महाराजगंज सब-डिविजन में 3 जुलाई को एक ही दिन में लगातार तीन पुल ढह गए, जिसके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए. एक पुल सिकंदरपुर गांव में, दूसरा देवरिया पंचायत में जबकि तीसरा भीखाबांध में ढहने की खबर है. ये सभी निर्माण तत्कालीन सांसद प्रभुनाथ सिंह के फंड से हुए थे और तीस साल से अधिक पुराने हैं.
यह भी पढ़ें-तेलंगाना में धरणी पोर्टल से तंग आकर खुदकुशी कर रहे किसान? जानिए क्या है पूरा मामला
बिहार के अररिया में 18 जून को बकरा नदी पर निर्माणाधीन पुल ढह गया. इस परियोजना की अनुमानित लागत करीब 8 करोड़ रुपये है और इसका निर्माण मई, 2021 में शुरू हुआ था और इसे 2023 तक पूरा होना था. स्थानीय लोगों का दावा है कि इसके एप्रोच रोड के निर्माण को पूरा करने के लिए कुछ और फंड की जरूरत थी, जिसके बिना यह बेकार हो गया. दावा किया जाता है कि देरी और घटिया निर्माण से 2 लाख से अधिक की आबादी सीधे तौर पर प्रभावित हुई है.
(आदित्य वैभव की रिपोर्ट)