देश में कपास का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए शुक्रवार को कोयंबटूर में महामंथन हुआ. केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आईसीएआर के गन्ना प्रजनन संस्थान, कोयंबटूर में आयोजित इस बैठक की अध्यक्षता की. बैठक में केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह, हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा समेत आईसीएआर, विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि, वैज्ञानिक, किसान और उद्यमी शामिल हुए. बैठक का उद्देश्य कपास क्षेत्र की चुनौतियों को समझते हुए एक समन्वित 'कपास मिशन' पर रोडमैप बनाना था. चौहान ने कहा कि हमने तमिलनाडु की सरकार और उनके मंत्री को बैठक में आदर के साथ बुलाया था, लेकिन वे नहीं आए. केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों के काम हो या देशहित की कोई बात हो, देश हमारे लिए सबसे ऊपर है.
वहीं, बैठक के दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जैसे रोटी जरूरी है, वैसे ही कपड़ा भी जरूरी है और कपड़ा कपास से बनता है, जिसे किसान उगाते हैं. इसलिए कपास मिशन किसानों की सेवा का एक रूप है. चौहान ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर 'टीम कॉटन' के तहत कपास मिशन को गति देंगी. इस टीम में कृषि मंत्रालय, वस्त्र मंत्रालय, आईसीएआर, राज्य सरकारों के प्रतिनिधि, कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति, किसान और उद्योग से जुड़े विशेषज्ञ शामिल होंगे। इसका उद्देश्य भारतीय कपास को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना है.
बैठक में तय किया गया कि कपास बीजों की गुणवत्ता सुधारने के लिए आईसीएआर रिसर्च को गति देगा और इंडस्ट्री की जरूरत के मुताबिक बीज तैयार किए जाएंगे. साथ ही हाई-डेंसिटी कॉटन वैरायटी को बढ़ावा दिया जाएगा. मौसम अनुकूल बीज, पिंक बॉल वॉर्म जैसी समस्याओं से निपटने के लिए AI बेस्ड स्मार्ट ट्रैप तकनीक का प्रयोग बढ़ाया जाएगा.
शिवराज सिंह ने कहा कि दक्षिण भारत में किसानों को मशीन टेस्टिंग के लिए दूर जाना पड़ता है, इसलिए यहां एक नया टेस्टिंग सेंटर बनाया जाएगा. उन्होंने छोटे किसानों के लिए अनुकूल मशीनों के विकास पर भी जोर दिया. बैठक में यह भी तय किया गया कि किसानों को अच्छे बीज और तकनीक समय पर मिले, इसके लिए एक्सटेंशन सेवाओं को मजबूत किया जाएगा. किसानों की ट्रेनिंग और क्षमता निर्माण पर भी खास ध्यान दिया जाएगा. बैठक में यह भी चर्चा हुई कि नकली बीज, कीटनाशक और खाद की समस्या को रोकने के लिए सख्त कानून बनाए जाएंगे.
शिवराज सिंह ने बताया कि जिनिंग फैक्ट्रियों के मैकेनाइजेशन को लेकर भी काम होगा, ताकि बेहतर गुणवत्ता का कपास तैयार हो सके. साथ ही, किसानों को उचित दाम पर गुणवत्तायुक्त बीज और कृषि रसायन उपलब्ध कराने की दिशा में भी नीति बनाई जा रही है. बैठक में किसानों, वैज्ञानिकों और अधिकारियों ने अपने सुझाव साझा किए और मिलकर 2030 से पहले भारत को कपास उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लिया. यह बैठक ‘क्रॉप वार संवाद’ की श्रृंखला में सोयाबीन के बाद दूसरी बड़ी पहल रही.