तेलंगाना में किसानों की मदद के लिए बनाया गया धरणी पोर्टल अब उनकी आत्महत्या की वजह बन गया है. इस पोर्टल पर आने वाली समस्याओं के समाधान में बहुत ज्यादा देरी हो रही है जिसकी वजह से कुछ किसान आत्महत्या जैसा कदम उठाने को मजबूर हैं. यह पोर्टल इंटीग्रेटेड ऑनलाइन रेवेन्यू लैंड रिकॉर्ड मैनेजमेंट सिस्टम के तौर पर शुरू हुआ था. सोमवार को ही तीन अलग-अलग जिलों में तीन किसानों ने आत्महत्या करने की कोशिश की है ताकि अधिकारियों का ध्यान इस तरफ जाए.
जनगांव जिले के नरमेटा मंडल में एक महिला किसान ज्योति ने आत्मदाह करने की कोशिश की. फिर नागरकुरनूल जिले के लिंगाला गांव की एक और महिला किसान जी जयम्मा के भी तहसीलदार के ऑफिस में आत्मदाह करने की कोशिश की खबरें आईं. वहीं जोगुलम्बा गडवाल जिले के अयिजा मंडल में, प्रशारमुडु ने कीटनाशक पीकर अपनी जान देने की कोशिश की है. संयोग से, तीनों छोटे और मध्यम किसान थे और उनकी परेशानी धरणी पोर्टल में अनियमितताओं की वजह है. इन तीनों किसानों का आरोप है कि इस पोर्टल के शुरू होने के बाद से ही उन्हें परेशान किया जा रहा था.
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धरणी की शुरुआत के बाद सामने आए मुद्दों में फिजिकल और ऑनलाइन रिकॉर्ड में बेमेल, डेटा सुधार, सीमा सुधार, म्यूटेशन, उत्तराधिकार, निषिद्ध संपत्ति से संबंधित शिकायतें और गैर-कृषि भूमि मूल्यांकन (एनएएलए) रूपांतरण शामिल हैं. 28 जून तक, भूमि संबंधी मुद्दों से संबंधित 2,23,626 आवेदन थे. इनमें से ज्यादातर धरणी पोर्टल के कारण आए थे. ये अब तक कई स्तरों पर राजस्व अधिकारियों के पास ही अटके हुए हैं. राज्य सरकार को प्रजावाणी कार्यक्रम के जरिये करीब 10,000 आवेदन मिले हैं.
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सरकार ने इस पोर्टल को किसानों की शिकायत दूर करने के एक सिस्टम के तौर पर शुरू किया था. हालांकि, जब शिकायतों का समाधान नहीं हुआ तो धरणी पोर्टल के पीड़ित किसान आत्महत्या जैसे कदम उठाने से पीछे नहीं हट रहे हैं. रायथु स्वराज्य वेदिका की तरफ से जो आंकड़ें मुहैया कराए गए हैं उनके अनुसार, कांग्रेस की तरफ से राज्य में सरकार बनकने के बाद से 136 किसानों ने कई कारणों से अपनी जान दे चुके हैं. इन कई कारणों में एक कारण धरणी पोर्टल भी है. सोमवार को जे प्रभाकर ने भूमि संबंधी मुद्दों को सुलझाने में राजस्व अधिकारियों की नाकामी से परेशान होकर खम्मम जिले के चिंताकानी मंडल में जहर खाकर जान दे दी थी.
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