भारत जैसे कृषि प्रधान देश में उर्वरकों की जरूरत हमेशा बनी रहती है. अधिक उत्पादन के लिए किसानों की उर्वरकों पर निर्भरता अभी भी बनी हुई है. ऐसे में उर्वरकों की आपूर्ति सरकार की सबसे बड़ी चिंता है. इसी कड़ी में सरकार ने इस चिंता का समाधान खोज लिया है. आपको बता दें कि चीन की साजिश का करारा जवाब देते हुए भारत ने सऊदी अरब से उर्वरकों की आपूर्ति के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. भारत की तीन प्रमुख उर्वरक कंपनियों - आईपीएल, कृभको और कोरोमंडल ने सऊदी अरब की उर्वरक निर्माण कंपनी माआदेन (Ma'aden) के साथ एक बड़ा समझौता किया है.
इस समझौते के तहत भारत हर साल 3.1 मिलियन मीट्रिक टन (31 लाख टन) डायमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) का आयात करेगा. यह समझौता 2025-26 से शुरू होकर पांच साल तक चलेगा, और आपसी सहमति से इसे अगले पांच साल के लिए बढ़ाया जा सकता है.
भारत के रसायन और उर्वरक मंत्री जे.पी. नड्डा ने 11 से 13 जुलाई 2025 के बीच दमाम और रियाद का दौरा किया. इसी दौरान यह ऐतिहासिक समझौता हुआ. मंत्री के साथ विदेश मंत्रालय और उर्वरक विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे. उन्होंने सऊदी अरब के उद्योग और खनिज संसाधन मंत्री बंदर बिन इब्राहिम अल खोरेयफ से भी मुलाकात की और उर्वरक, पेट्रोकेमिकल और फार्मास्युटिकल क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की.
भारत ने 2023-24 में सऊदी अरब से 16.29 लाख मीट्रिक टन DAP मंगवाया था, जो 2024-25 में बढ़कर 19.05 लाख मीट्रिक टन हो गया. यह 17% की वृद्धि है. अब इस नए समझौते के साथ, 2025-26 से हर साल 30 लाख मीट्रिक टन DAP की आपूर्ति सुनिश्चित हो जाएगी. यह भारत की खाद्य सुरक्षा और किसानों की जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा.
भारत और सऊदी अरब के बीच हुआ यह समझौता न केवल उर्वरक आपूर्ति को मजबूत करेगा, बल्कि दोनों देशों के बीच आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को भी और गहरा करेगा. किसानों के लिए यह एक राहत की खबर है, जो आने वाले वर्षों में खेती की लागत को कम कर सकती है और उत्पादन बढ़ा सकती है.