बिहार में जहां बुधवार को मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया. वहीं गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंत्रियों के विभागों का बंटवारा भी कर दिया जिनमें से कई मंत्रियों के अतिरिक्त विभाग लेकर नए मंत्रियों को सौंपा गया है. वहीं कई विभागों की जिम्मेदारी पुराने मंत्रियों के बीच फेरबदल करके सौंपी गई है. इसमें मंगल पांडेय से कृषि मंत्री पद का अतिरिक्त प्रभार लेते हुए उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा को एक बार फिर से कृषि मंत्री बनाया गया है जो पिछले पांच साल के दौरान 6वें कृषि मंत्री की लिस्ट में शुमार हो चुके हैं. वहीं राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के इस्तीफे के बाद नए मंत्री बने संजय सरावगी को दिया गया है.
बता दें, राजनीति से जुड़े जानकारों का कहना है कि यह मंत्रिमंडल विस्तार केवल आने वाले विधानसभा सभा चुनाव को देखते हुए किया गया है. इस मंत्रिमंडल विस्तार के साथ ही बीजेपी बिहार में जातीय समीकरण को अपनी ओर साधने का प्रयास कर रही है.
पिछले साल जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आरजेडी का दामन छोड़ एनडीए का हिस्सा बने थे. उस दौरान 3 फरवरी 2024 को विजय सिन्हा को उपमुख्यमंत्री के साथ कृषि मंत्री की भी जिम्मेदारी मिली थी. 2025 में फरवरी के अंत में एक बार फिर कृषि मंत्री उन्हें बनाया गया है. उस समय कृषि मंत्री के अलावा उन्हें आठ अन्य विभाग मिले थे. लेकिन इस बार वह कृषि मंत्री के अलावा खान एवं भूतत्व विभाग के मंत्री रहेंगे.
एकबार फिर से कृषि मंत्री का पद संभालने के साथ ही डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा के लिए कई तरह की चुनौतियां भी रहने वाली हैं. जिसमें सबसे पहला मखाना बोर्ड के स्थान चयन को लेकर रहने वाली है. जहां केंद्र सरकार द्वारा बिहार में मखाना बोर्ड स्थापित करने की बात कही गई है. वहीं पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव पूर्णिया में बोर्ड स्थापित करने की मांग कर रहे हैं. हालांकि केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दरभंगा में बीते दिनों मखाना किसानों के साथ बातचीत की थी जिसके बाद दरभंगा में ही मखाना बोर्ड स्थापित करने की चर्चा हो रही है. वहीं फसलों के लिए बेहतर बाजार और मंडी की मांग किसान लंबे समय से कर रहे हैं जिसे पूरा करना मंत्री विजय सिन्हा के लिए आसान नहीं रहने वाला है.
2020 में 17वीं बिहार विधान सभा का चुनाव हुआ था. बीते पांच साल के दौरान राज्य को पांच नए कृषि मंत्री मिल चुके हैं. जिनमें से विजय कुमार सिन्हा के दो कार्यकाल को जोड़ दिया जाए तो यह 6 हो जाता है. जहां बीजेपी से अमरेंद्र प्रताप सिंह 16 नवंबर 2020 से 9 अगस्त 2022 तक कृषि मंत्री रहे. इनके बाद राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के विधायक सुधाकर सिंह कृषि मंत्री रहे. जब इन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया तो उनके स्थान पर आरजेडी विधायक कुमार सर्वजीत को कृषि मंत्री बनाया गया.
वहीं एक बार फिर बिहार में सता के बदलाव के बीच नीतीश कुमार की बीजेपी गठबंधन वाली सरकार में कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा को 2024 में बनाया गया. इनके बाद मंगल पांडेय को यह जिम्मेदारी दी गई. वहीं एक बार फिर चुनावी साल में विजय सिन्हा को कृषि मंत्री बनाया गया है.
बिहार की राजनीति में विजय कुमार सिन्हा की अपनी एक अलग पहचान है. राज्य के लखीसराय के रहने वाले 57 वर्षीय विजय सिन्हा अपनी राजनीति सफर के दौरान कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा चुके हैं. साल 2000 में भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) के प्रदेश संगठन के प्रभारी बनने के अलावा 2004 में बीजेपी के प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य बने. इसके साथ ही वह किसान मोर्चा के प्रदेश महामंत्री भी बन चुके है, जिस दौरान उन्होंने किसानों और कृषि से जुड़ी समस्याओं को नजदीक से देखा है. वहीं, 2020 चुनाव के बाद बीजेपी का कोई पहला नेता बिहार विधानसभा का स्पीकर बना, तो वह विजय सिन्हा थे.
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के इस्तीफ के बाद राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की जिम्मेदारी नए मंत्री संजय सरावगी को मिली है. दरभंगा सदर विधानसभा से पांच बार के विधायक संजय सरावगी को पार्टी ने पहली बार मंत्री बनाकर उनका कद बढ़ाया है. वहीं संजय सरावगी को जिस विभाग की जिम्मेदारी मिली है वह हाल के समय में बिहार की राजनीति की रूप रेखा बदलने की ताकत रखती है क्योंकि बिहार में भूमि सर्वे चल रहा है.
राज्य में विवाद का एक बड़ा कारण जमीन विवाद है. बीते दिनों ऐसा देखने को भी मिला जब भूमि सर्वे को लेकर राज्य में पारिवारिक विवाद तेजी से बढ़ा और साथ ही कई विवादों का जन्म हुआ. हालांकि उस समय मंत्री रहे दिलीप जायसवाल ने भूमि सर्वे से जुड़े कागजात जमा करने की तय सीमा को हटा दिया है. फिर भी चुनाव से पहले भूमि सर्वे को पूरा करवाना मंत्री संजय सरावगी के लिए बड़ी बात होगी. हालांकि वरिष्ठ पत्रकार सुनील पांडेय कहते हैं कि विभाग के मंत्री बदलने से भूमि सर्वे पर कोई खास असर नहीं पड़ने वाला है.