बिहार के राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर से हलचल तेज है. बिहार में जहां जाति के आधार पर राजनीति होती रही है, वहीं इस बार देश के प्रधानमंत्री और बीजेपी के बड़े नेता नरेंद्र मोदी ने चुनाव की दिशा बदल दी है. नरेंद्र मोदी ने जाति की राजनीति की दिशा को कृषि की ओर मोड़ दिया है. आपको बता दें कि बिहार के भागलपुर के दौरे पर आए पीएम मोदी ने इस बार साफ कर दिया कि अब बिहार में जाति से ऊपर उठकर किसानों के अधिकार की बात की जाएगी.
इसके बाद विपक्ष में बैठे नेताओं की प्रतिक्रिया सामने आने लगी है. दरअसल ये विवाद बिहार में मखाना बोर्ड के गठन को लेकर शुरू हुआ है. नेताओं और लोगों ने सोशल मीडिया पर खुलकर अपनी बात रखी कि बिहार का मखाना बोर्ड कहां बनाया जाए.
इस विषय पर पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने कहा है कि पूर्णिया में हर हाल में मखाना बोर्ड का गठन होना चाहिए. उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसा नहीं होने पर पूर्वोत्तर भारत से रेल और सड़क संपर्क टूट जाएगा. दरअसल, केंद्र सरकार ने इस बार बजट में मखाना बोर्ड का प्रस्ताव इसलिए रखा है, ताकि मखाना उत्पादन से लेकर उसकी प्रोसेसिंग और पैकेजिंग तक के लिए सरकारी स्तर पर बेहतर संसाधन और सुविधाएं मिल सकें.
कोशिश यह है कि अब तक असंगठित रूप में फैले इस उद्योग को किसानों और मखाना व्यवसाय के लिए बेहतर स्वरूप दिया जा सके. लेकिन, फिलहाल सीमांचल और मिथिला के राजनीतिक नुमाइंदों के बीच मखाना बोर्ड के गठन का श्रेय लेने की मार मची हुई है.
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मखाना बोर्ड बनाने की बात पर पप्पू यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर लिखा था, "सीमांचल अगर कोसी का हक छीनेगा तो वो चुप नहीं रहेंगे. पप्पू यादव ने कहा, सीमांचल से मखाना बोर्ड हटाने वालों के मुंह पर कालिख पोत देंगे. अगर सरकार हमारी मांग नहीं मानती है तो हम अनिश्चितकाल के लिए पूर्वोत्तर भारत से रेल और सड़क संपर्क काट देंगे.
इतना ही नहीं, पप्पू यादव के इस रुख पर जेडीयू और बीजेपी के नेता उन पर हमला बोल रहे हैं और कह रहे हैं कि वो राजनीति कर रहे हैं, जबकि किसानों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि मखाना बोर्ड मिथिला में है या सीमांचल में. पूर्व डिप्टी सीएम और कटिहार विधायक तार किशोर प्रसाद फिलहाल सीमांचल क्षेत्र को मखाना उत्पादन में अग्रणी होने की बात कह रहे हैं, लेकिन मखाना बोर्ड बनाने के लिए जगह तय करने का विचार सरकार पर छोड़ रहे हैं.
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उधर, बिहार दौरे पर आए कृषि एवं कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साफ कर दिया है कि आने वाले समय में बिहार के दरभंगा में मखाना बोर्ड की स्थापना की जा सकती है. इस बार जिस तरह से उन्होंने दरभंगा के किसानों से मुलाकात की और सीधे मखाना तालाब में उतरे, उससे यह बात साफ हो गई है. वैसे भी मिथिला को मखाना का गढ़ माना जाता है और मखाना की सबसे ज्यादा खेती मिथिलांचल में होती है. इसलिए अगर दरभंगा में इसकी स्थापना होती है तो गलत नहीं होगा.
मखाना की खेती पूरे बिहार में नहीं होती है. इसकी खेती उत्तरी और पूर्वी बिहार के ज्यादातर इलाकों में होती है. मधुबनी, दरभंगा, पूर्णिया, कटिहार, सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, अररिया, सीतामढ़ी और किशनगंज जिले में मखाना की खेती होती है. बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. पहले से ही उम्मीद थी कि केंद्र सरकार बिहार को बड़ी सौगात देगी जो मखाना बोर्ड के गठन के रूप में दी गई है. अब देखना यह है कि बिहार के किस जिले में मखाना बोर्ड का गठन होता है और इससे किसानों को कितना फायदा होता है.
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