पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने गुरुवार को पंजाब सरकार की लैंड पूलिंग पॉलिसी 2025 पर रोक लगा दी. अलग-अलग किसानों द्वारा अपने वकीलों के माध्यम से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए, हाई कोर्ट की बेंच ने इस नीति पर रोक लगा दी. विस्तृत आदेश अभी आना बाकी है.
पंजाब सरकार की ओऱ से अभी हाल ही में अधिसूचित इस नीति का किसानों ने भारी विरोध किया था और कई किसान संघ पहले ही राज्य में कह रहे थे कि वे सरकार की इस नीति को किसानों की ज़मीन अधिग्रहण करने की इजाजत नहीं देंगे.
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की बेंच ने राज्य के वकीलों से स्पष्ट रूप से पूछा कि क्या सरकार ने इस नीति को आगे बढ़ाने से पहले किसानों और ज़मीन मालिकों से अनुमति ली थी. बेंच ने यह भी पूछा कि क्या पंचायतों को ध्यान में रखा गया था?
साथ ही, मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने यह भी पूछा कि क्या इस नीति के पर्यावरण या सामाजिक प्रभावों को ध्यान में रखा गया है. बेंच ने सरकारी वकीलों से कहा कि या तो नीति वापस लें, अन्यथा इस पर रोक लगा दी जाएगी.
बाद में बेंच ने पंजाब लैंड पूलिंग पॉलिसी 2025 पर रोक लगा दी. बताया जा रहा है कि यह रोक अगली सुनवाई तक जारी रहेगी.
बता दें कि मंगलवार को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने इस पॉलिसी पर एक दिन के लिए रोक लगा दी थी. इस पर बात करते हुए, किसान गुरदीप सिंह गिल के वकील, एडवोकेट गुरजीत सिंह गिल ने कहा, "कोर्ट ने लैंड पूलिंग पॉलिसी पर रोक लगा दी है. यह एक अंतरिम रोक है. किसी भी भूमि अधिग्रहण या इस तरह की किसी भी कार्रवाई से पहले, पर्यावरण का आकलन किया जाना चाहिए और इसके सामाजिक प्रभाव का भी विश्लेषण किया जाना चाहिए. सरकार ने इस पर कुछ नहीं किया और हाई कोर्ट ने इस नीति पर रोक लगा दी."
इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए, किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा, "आगे की रणनीति की घोषणा करने से पहले हम अदालत के आदेश का विस्तार से अध्ययन करेंगे. लेकिन मैं यह ज़रूर कहूंगा कि किसानों और किसान संगठनों को तब तक विरोध प्रदर्शन बंद नहीं करना चाहिए जब तक भगवंत मान सरकार खुद इस नीति को वापस नहीं ले लेती."
पंजाब लैंड पूलिंग पॉलिसी पर लगाई गई रोक का स्वागत करते हुए, पंजाब कांग्रेस विधायक परगट सिंह ने कहा, "मैं हाईकोर्ट के इस आदेश का स्वागत करता हूं और यह पंजाब के लोगों और खासकर किसानों की जीत है."
उन्होंने आगे कहा कि पंजाब सरकार को यह समझना चाहिए कि वह इस तरह ज़मीन हड़पने की अपनी कोशिशों को आगे नहीं बढ़ा सकती. शिरोमणि अकाली दल के नेता दलजीत सिंह चीमा ने भी हाईकोर्ट के रोक की सराहना की और कहा कि आप सरकार की यह लैंड पूलिंग नीति कभी सफल नहीं होगी.
इससे पहले, शिरोमणि अकाली दल प्रमुख सुखबीर बादल ने भी घोषणा की थी कि अगर आप सरकार इस नीति को वापस नहीं लेती है, तो उनकी पार्टी 1 सितंबर से पक्का मोर्चा (स्थायी विरोध) शुरू करेगी.
सरकार की लैंड पूलिंग पॉलिसी में, किसानों से स्वेच्छा से अपनी जमीन देने का आग्रह किया जा रहा है और बदले में उन्हें विकसित जमीन का एक हिस्सा मिलेगा, जिसका बाजार मूल्य काफी ज्यादा होगा. इस नई लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत, पंजाब सरकार का लक्ष्य पंजाब के अलग-अलग जिलों से कुल 65533 एकड़ जमीन लेना है. इस जमीन को आवासीय और औद्योगिक दोनों उद्देश्यों के लिए विकसित करना है. इस कुल जमीन में से, सरकार सिर्फ लुधियाना में आवासीय और औद्योगिक दोनों जरूरतों के लिए 45861 एकड़ जमीन पाना चाहती है.
इस लैंड पूलिंग पॉलिसी में, मालिक को वापस दी जाने वाली जमीन की मात्रा इस बात पर निर्भर करती है कि पूलिंग के लिए कितनी जमीन दी गई है. उदाहरण के लिए, अगर कोई जमीन मालिक एक एकड़ जमीन देता है, तो उसे 1000 वर्ग गज का आवासीय प्लॉट और 200 वर्ग गज का कमर्शियल प्लॉट वापस मिलेगा. इसी तरह, अगर जमीन औद्योगिक विकास के लिए पूल की जाती है, तो सरकार ने एक स्लैब लागू किया है.
हालांकि, पंजाब सरकार अपनी लैंड पूलिंग पॉलिसी का समर्थन कर रही है, लेकिन किसान यूनियनें और किसान इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं. चाहे मुख्यमंत्री भगवंत मान का पुतला जलाना हो या पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल का, किसान लगातार सरकार के खिलाफ विरोध रैलियां, ट्रैक्टर मार्च निकाल रहे हैं और इस नीति को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.