महाराष्ट्र सहित कई राज्यों की थोक मंडियों में पिछले कुछ महीनों से प्याज की कीमतें लुढ़की हुई हैं. मई महीने में प्याज की फसल को बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से नुकसान पहुंचने के बाद भी कीमतों में बढ़ोतरी नहीं हुई है. ऐसे में किसानों को नुकसान के मुआवजे की दरकार है, ताकि उन्हें राहत मिल सके. महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक राज्य है, लेकिन ज्यादा उत्पादन और निर्यात पर रोक और निर्यात शुल्क के कारण कारण किसानों को गहरी आर्थिक चोट पड़ी है. जहां पिछले साल महाराष्ट्र के किसानों को प्याज के बढ़िया दाम मिल रहे थे. वहीं, इस साल दाम काफी कम हैं. जानिए 1 जुलाई 2025 और 1 जुलाई 2024 को प्याज के दाम. साथ ही अन्य कारण भी जानिए, जिनके चलते दामों पर असर देखने को मिल रहा है…
मंडी | वैरायटी | न्यूनतम कीमत (रु./क्विंटल) | अधिकतम कीमत (रु./क्विंटल) | मॉडल कीमत (रु./क्विंटल) |
सोलापुर | लाल | 100 | 2500 | 1200 |
सटाणा | अन्य | 355 | 1750 | 1345 |
नागपुर | सफेद | 600 | 1800 | 1500 |
फलटण | हाइब्रिड | 200 | 1821 | 1200 |
पिंपलगांव | अन्य | 400 | 2099 | 1525 |
कलवन | अन्य | 400 | 2190 | 1400 |
कल्याण | 2nd Sort | 800 | 900 | 850 |
अमरावती | लोकल | 1000 | 2500 | 1750 |
छत्रपति संभाजीनगर | अन्य | 300 | 1500 | 900 |
वाशी न्यू मुंबई | अन्य | 1000 | 1900 | 1450 |
महाराष्ट्र की ज्यादातर मंडियों में मुश्किल से ही इस साल जुलाई की पहले तारीख को मॉडल कीमतें 1500 रुपये प्रति क्विंटल का भाव पार कर पा रही हैं. हालांकि कुछ मंडियेां में अधिकतम कीमतें 2 हजार रुपये से ऊपर दर्ज की गई हैं तो वहीं न्यूनतम कीमतों का हाल बहुत ही बुरा नजर आ रहा है.
मंडी | वैरायटी | न्यूनतम कीमत (रु./क्विंटल) | अधिकतम कीमत (रु./क्विंटल) | मॉडल कीमत (रु./क्विंटल) |
अकोला | अन्य | 2000 | 3000 | 2500 |
अमरावती (फल-सब्जी मंडी) | लोकल | 2800 | 3200 | 3000 |
बारामती | लाल | 670 | 2800 | 2100 |
चंद्रपुर | अन्य | 2800 | 3500 | 3000 |
छत्रपति संभाजीनगर | अन्य | 800 | 2750 | 1775 |
कामठी | लोकल | 3000 | 4000 | 3500 |
कराड | अन्य | 1000 | 3000 | 3000 |
कोल्हापुर | अन्य | 1000 | 3300 | 2200 |
मनमाड | अन्य | 1300 | 2952 | 2700 |
नागपुर | लाल | 2000 | 3000 | 2750 |
पिछले साल 1 जुलाई 2025 को किसानों को सामान्यत: प्याज की अच्छी कीमत मिली. मॉडल कीमतों में इसे साफ तौर पर देखा जा सकता है कि उन्हें 2100 से लेकर 3000 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिला, जो वर्तमान में मुश्किल से ही देखने को मिल रहा है.
केंद्र सरकार ने पिछले साल खुदरा बाजार में प्याज की कीमतों को कंट्रोल करने के लिए निर्यात पर रोक लगा दी थी. फिर कई महीनों के बाद निर्यात की अनुमति तो दी, लेकिन इसपर 40 प्रतिशत शुल्क लगा दिया. बाद में ड्यूटी को घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया और इस साल निर्यात को शुल्क मुक्त कर दिया. वहीं, किसानों और निर्यातकों का कहना है कि सरकार ने फैसला लेने में देरी की, जिसकी वजह से विदेशी खरीदार छिटक गए हैं. विदेशों में भारतीय प्याज महंगी होने के कारण इसकी मांग पर असर पड़ रहा है. पाकिस्तान और चीन पहले से ही भारत से सस्ती दर पर प्याज बेच रहे हैं और इस बार गुलाबी प्याज के खरीदार भी नहीं मिल रहे हैं, क्योंकि म्यांमार ने इसकी खेती और निर्यात शुरू कर दिया है.