खेती जिसे अधिकतर किसान घाटे का ही सौदा समझते हैं, उसे अगर थोड़ी सही प्लानिंग से करें तो बहुत अच्छा मुनाफा बन सकता है. सोचिए अगर कोई ऐसा प्लान हो जिसमें आप अपनी खेती भी करते रहें और उसे देखने और उसका अनुभव लेने के लिए आपके खेत पर पर्यटक आएं और इसका अच्छा पैसा भी दे जाएं, तो कैसा होगा. ये कोई सपना नहीं, बल्कि ऐसा असल में हो रहा है. इसे एग्री-टूरिज्म कहते हैं, जिसके नाम से ही साफ है कि आपकी खेती पर पर्यटन. इसमें आप खेत से मिली फसल से भी कमाई करते हैं और अपने फार्म या फार्म हाउस पर पर्यटकों से भी अच्छी कमाई कर सकते हैं.
एग्री-टूरिज्म के लिए आपको अपने खेत को इस तरह से विकसित करना होगा कि दूर-दूर से वहां पर्यटक आकर गांव की जिंदगी, खेती, प्राकृतिक में रहना और गांव के देसी खानपान का लुत्फ उठा सकें. इससे ना सिर्फ खेती बल्कि खेत के पर्यटन से आपकी नकद कमाई होगी. इस काम में स्कोप इसलिए ज्याादा है क्योंकि अब शहरों में रहने वाले नई पीढ़ी के लोग ग्रामीण जीवन और असली नेचर का अनुभव करना चाहते हैं.
एग्री-टूरिज्म में पर्यटक आपके खेत पर आकर फसलें देख सकते हैं, खेती में हाथ बंटाकर इसका अनुभव कर सकते हैं, बैलगाड़ी या ट्रैक्टर की सवारी कर सकते हैं, खेत में उगी सब्जियां फार्म पर ही पकाकर खा खा सकते हैं और खेत पर ठहरने का भी अनुभव ले सकते हैं. इन सभी अद्भुत अनुभवों के लिए किसान पर्यटकों से बढ़िया पैसा ले सकते हैं. इसके साथ ही बड़ा फायदा ये है कि इसमें किसान मौसम और फसल की पैदावार पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहते और पर्यटन से अतिरिक्त कमाई होती रहेगी. खास बात ये है कि एग्री-टूरिज्म में घर की महिलाओं और युवाओं को घर बैठे रोजगार भी मिल जाएगा. महिलाएं पर्यटकों के लिए देसी खाना, हैंडीक्राफ्ट जैसे काम कर सकती हैं.
इसके लिए आपको लोकेशन और प्लानिंग का ध्यान रखना होगा. अगर आपका खेत मेन रोड या शहर के पास हो तो पर्यटक ज्यादा आएंगे. अपने खेत पर तालाब, बगीचा, खेती और पशुपालन जैसी सभी तरह का प्राकृतिक माहौल तैयार करें. इस काम को आप छोटे से शुरू करें. पहले खेत पर डे विज़िट का मॉडल बनाएं, आय बढ़ेगी तब नाइट स्टे भी शुरू कराएं.
खेत पर पर्यटकों के लिए कुछ आकर्षण के केंद्र भी बनाने होंगे. इसके तहत पर्यटकों से खेती का काम कराएं, जैसे- धान/गेहूं काटना, चारा काटना, सब्जी तोड़ना, फल तोड़ना, पेड़ों पर चढ़ाना, पशुओं की सेवा करना, दुहना उनका चारा तैयार करवाना आदि. इसके अलावा पर्यटकों को बैलगाड़ी, ऊंटगाड़ी या ट्रैक्टर की सवारी दिला सकते हैं. तालाब में से मछलियां पकड़वाना और फिर उसे ही पकाकर खिलाना भी आकर्षण का केंद्र बन सकता है.
इतना ही नहीं पर्यटकों को ऑर्गेनिक मक्के की रोटी, सरसों का साग, बाजरे की खिचड़ी, गुड़-छाछ जैसा ग्रामीण भोजन पकाने की प्रक्रिया में शामिल करें और खिलाएं. साथ ही ग्राणीम संस्कृति और खेल जैसे- कठपुतली शो, कबड्डी, खो-खो, रस्साकशी का अनुभव दिलाएं और लोक संगीत का भी लुत्फ दिलाएं.
पर्यटकों के लिए बुनियादी सुविधाएं तैयार करें, जैसे- साफ टॉयलेट, पीने का पानी, बैठने/रुकने की जगह बनाएं. बच्चों और महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल बनाएं. नाइट स्टे के लिए होम-स्टे, झोपड़ी या कॉटेज बनाएं. साथ ही गाड़ियों की पार्किंग के लिए जगह बनाएं.
अपने खेत को एग्री-टूरिज्म में पंजीकरण के लिए अपने राज्य की पर्यटन विभाग / एग्री-टूरिज्म पॉलिसी चेक करें. महाराष्ट्र और राजस्थान में इसके लिए खास नीति भी है. रजिस्ट्रेशन कराने से पर्यटकों का भरोसा बढ़ेगा, सब्सिडी और लोन आसानी से मिलेगा.
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