
हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले में आलू की नई फसल ने महीने की शुरुआत में किसानों को अच्छे दामों का संकेत दिया, लेकिन यह सिलसिला ज्यादा दिन टिक नहीं पाया. अब मंडियों में आवक बढ़ते ही कीमतों में तेज बदलाव देखने को मिला है, जबकि मांग लगभग स्थिर बनी हुई है. सोमवार को मंडियों में आलू के भाव 500 से 900 रुपये प्रति क्विंटल के दायरे में रहे, जो कुछ हफ्ते पहले तक 1300 से 2180 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच चुके थे. कीमतों में आई इस गिरावट से आलू उत्पादक किसान निराश हैं.
दरअसल, इस साल जिले में आलू की खेती का रकबा भी बढ़ा है. मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर 38 हजार एकड़ से ज्यादा क्षेत्र रजिस्टर किया गया है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में करीब 26,275 एकड़ क्षेत्र ही सत्यापित हुआ था. ज्यादा रकबा और बेहतर उत्पादन की उम्मीद के बीच बाजार से मिले कमजोर भाव किसानों की चिंता बढ़ा रहे हैं.
‘दि ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के मुताबिक, शाहाबाद अनाज मंडी में अपनी उपज बेचने पहुंचे किसान गौरव कुमार ने बताया कि इस बार का सीजन घाटे का सौदा साबित हो रहा है. लाल छिलके वाला आलू मात्र 805 रुपये प्रति क्विंटल में बिका, जबकि पिछले साल यही किस्म 1800 से 1900 रुपये प्रति क्विंटल तक बिक गई थी. वहीं, सफेद छिलके वाला आलू भी 615 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास रहा. उन्होंने यह भी कहा कि इस बार प्रति एकड़ पैदावार भी अपेक्षा से कम रही है, जिससे लागत निकालना मुश्किल हो गया है.
भारतीय किसान यूनियन चढ़ूनी के प्रवक्ता और आलू किसान राकेश बैंस ने कहा कि बढ़ती लागत और अस्थिर बाजार भाव ने किसानों की कमर तोड़ दी है. खाद, बीज, डीजल और मजदूरी के खर्च हर साल बढ़ रहे हैं, लेकिन फसल के दाम सुरक्षित नहीं हैं. उन्होंने सरकार से भावांतर भरपाई योजना के तहत सुरक्षित मूल्य 600 रुपये से बढ़ाकर कम से कम 900 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग की है, ताकि किसानों को नुकसान से बचाया जा सके.
इधर, पिपली अनाज मंडी के व्यापारी धर्मपाल मथाना ने कहा कि मंडी में आवक ज्यादा होने से कीमतों पर दबाव बना हुआ है. लाल आलू 700 से 900 रुपये और सफेद आलू 500 से 625 रुपये प्रति क्विंटल तक बिका. उन्होंने कहा कि स्टॉक भरपूर है और मांग में कोई खास तेजी नहीं है, इसलिए जनवरी में कीमतों के और नीचे जाने की आशंका है.
वहीं, मंडी सचिव गुरमीत सिंह ने कहा कि पिपली मंडी में अब तक 4.80 लाख क्विंटल से ज्यादा आलू की आवक हो चुकी है, जबकि पिछले साल इसी समय यह आंकड़ा 2.21 लाख क्विंटल था. हालांकि, बीते कुछ दिनों में ताजा आवक में थोड़ी कमी आई है, लेकिन 15 जनवरी के आसपास पककर तैयार होने वाली किस्म के आने से फिर तेजी आने की संभावना है. जिला बागवानी अधिकारी डॉ शिवेंदु प्रताप सिंह ने किसानों से अपील की है कि वे मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर फसल का सत्यापन जरूर कराएं, ताकि भावांतर भरपाई योजना का लाभ समय पर मिल सके.