
देश की दाल मंडियों में तूर (अरहर) की नई फसल की आवक बढ़ते ही बाजार कमजोर पड़ गया है. महाराष्ट्र और कर्नाटक की प्रमुख मंडियों में बुधवार तक तूर के दाम 6700 से 7700 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंच गए, जो MSP 8000 रुपये प्रति क्विंटल से काफी नीचे हैं. ऐसे में किसानों की चिंता बढ़ गई है. मार्केट एक्सपर्ट्स कीमतों में गिरावट के पीछे दो वजहें बता रहे हैं. पहला- सस्ते विदेशी आयात की भरमार के पड़ने वाला दबाव और दूसरा घरेलू खपत में सुस्ती.
इस बीच, कृषि मंत्रालय ने कर्नाटक सरकार के अनुरोध पर 2025-26 सीजन के लिए 9.67 लाख टन तूर की खरीद को मंजूरी दे दी है. यह खरीद मूल्य समर्थन योजना PSS के तहत 90 दिनों तक चलेगी. अधिकारियों का कहना है कि शुरुआती खरीद शुरू होते ही भाव में कुछ स्थिरता आ सकती है. हालांकि, फसल की गुणवत्ता और आयात का दबाव अभी भी बाजार को प्रभावित करेगा.
बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, आईग्रेन इंडिया (IGrain India) के निदेशक राहुल चौहान ने कहा है कि इस बार तूर फसल कम दिख रही है और लगातार बारिश के कारण दानों की क्वालिटी उम्मीद से कम है. आने वाले हफ्तों में आवक और तेज होने की संभावना है, जिससे कीमतों पर दबाव बना रह सकता है. कृषि मंत्रालय के पहले अग्रिम अनुमान भी इसी रुझान की पुष्टि करते हैं.
2025-26 में तूर उत्पादन 35.97 लाख टन रहने की उम्मीद है, जो पिछले वर्ष के 36.24 लाख टन से थोड़ा कम है. कर्नाटक रेडग्राम ग्रोअर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बसवराज इंगिन कहते हैं कि कलाबुर्गी सहित कई जिलों में अतिवृष्टि से फसल को व्यापक नुकसान पहुंचा है. खेतों में फूल झड़ने की समस्या भी रही, जिससे पैदावार और गुणवत्ता दोनों पर असर पड़ा है. इसके बावजूद पड़ोसी जिलों विजयपुरा, बागलकोट, बीदर और यादगीर से नई तूर की आमद शुरू हो चुकी है.
उधर, आयातित तूर घरेलू बाजार की गति तोड़ रही है. अफ्रीका से आने वाली तूर इस समय 4900 से 5500 रुपये क्विंटल के रेट पर उपलब्ध है. म्यांमार से भी 3 से 4 लाख टन तूर आने की संभावना है. इस साल अप्रैल से सितंबर के बीच लगभग 3.97 लाख टन तूर आयात की जा चुकी है.
वहीं, पिछले वित्त वर्ष में कुल आयात 12.23 लाख टन रहा था. साथ ही शुल्क-मुक्त की अनुमति 31 मार्च 2026 तक बढ़ी होने से विदेशी माल की आवक फिलहाल जारी रहेगी और घरेलू कीमतों पर इसका असर जारी रह सकता है. व्यापारियों का कहना है कि घरेलू स्टॉक भी पर्याप्त है, जिससे खरीदारों में नए स्टॉक बनाने की इच्छा कम दिख रही है.
लातूर के व्यापारी नितिन कलंत्री का कहना है कि बाजार में अभी मांग बेहद कमजोर है, हालांकि, दक्षिण भारत में पोंगल त्योहार से पहले 20 से 25 दिसंबर के बीच कुछ खरीद बढ़ सकती है. पिछले वर्ष इस समय तूर 10,000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई थी, लेकिन इस बार बढ़ता आयात और पर्याप्त उपलब्धता भाव को ऊपर जाने नहीं दे रही है.