
महाराष्ट्र के नासिक में प्याज उगाने वाले किसानों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. नासिक में केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामलों के विभाग के जरिए प्राइस स्टेबिलाइजेशन फंड स्कीम के तहत 3 लाख टन प्याज की खरीद पांच महीने पहले पूरी हो गई थी. लेकिन, अभी तक करीब 25 परसेंट किसानों को 100 करोड़ रुपये की रकम नहीं मिली है. इस वजह से केंद्र सरकार की स्कीम से किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है. जिन किसानों का पेमेंट नहीं हुआ है, उनका कहना है कि इसके पीछे कंज्यूमर अफेयर्स डिपार्टमेंट का हाथ है. इसलिए, समझा जा रहा है कि दिल्ली गए किसान और खरीदार संगठन गुस्से में हैं.
'अग्रोवन' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, छह महीने पहले किसानों ने 'NAFED' और 'NCCF' को प्याज बेचा था. उस समय 72 घंटे के अंदर पेमेंट करने का ऐलान हुआ था. लेकिन, असल में यह बात गायब हो गई है. चूंकि शुरुआती दौर में प्याज की खरीद में कन्फ्यूजन था, इसलिए राज्य सरकार ने सहकारिता विभाग के जरिए एक विजिलेंस कमेटी भी बनाई थी.
इसके कामकाज में बहुत कन्फ्यूजन है. खरीद पूरी होने के बाद, केंद्र सरकार के कंज्यूमर अफेयर्स डिपार्टमेंट, फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, 'NAFED' और 'NCCF' के सीनियर अधिकारियों ने रेवेन्यू सिस्टम के साथ मिलकर खरीद सेंटर्स पर जाकर खुद जाकर निरीक्षण किया. इसमें यह असलियत सामने आई कि कुछ जगहों पर स्टॉक कम था.
हालांकि, खरीदी का काम खत्म होने के 2 महीने बाद, कंज्यूमर अफेयर्स डिपार्टमेंट के निरीक्षण में पाया गया कि खरीद सेंटर्स पर माल कम था. असल में, किसानों ने प्याज बेचने के सभी प्रोसेस को वेरिफाई किया था और खरीद और स्टोरेज की डिटेल्स इस डिपार्टमेंट के 'सप्लाई वैलिड' पोर्टल पर हैं. फिर उन्होंने पैसे क्यों बर्बाद किए? यही किसानों का सवाल है और गुस्सा बढ़ता जा रहा है.
असल में, कंज्यूमर अफेयर्स डिपार्टमेंट की ओर से नियुक्त इंस्पेक्टर्स के जरिए और उनकी देखरेख में प्याज की क्वालिटी और वजन को वेरिफाई किया गया था. उसी प्याज को तौलकर चॉल में स्टोर किया गया था. इस बारे में समय-समय पर खरीद और स्टोरेज रिपोर्ट दी गई थी. लेकिन, जब से पैसे अभी तक नहीं मिले. इसके विरोध में किसान और खरीदने वाली संस्थाओं के प्रतिनिधि दिल्ली पहुंच गए हैं.
प्याज बेचने के बाद पैसे नहीं मिलने पर किसान और संगठनों के प्रतिनिधि आखिरकार तीन दिन के लिए सीधे दिल्ली पहुंच गए हैं. मंगलवार (9 तारीख) को पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार से मिलने के बाद वे 'नेफेड' के सीनियर मैनेजमेंट से मिले. सांसद नीलेश लंका ने इस मुद्दे पर कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने संसद में भी सवाल उठाया था. हालांकि, उम्मीद के मुताबिक जवाब नहीं मिला. बुधवार (10 तारीख) को किसान कंज्यूमर अफेयर्स डिपार्टमेंट के अधिकारियों से मिलने गए थे.
अब देखने वाली बात है कि जब किसान और संगठनों के नुमाइंदे दिल्ली में मौजूद हैं तो उनकी मांगें कब तक सुनी जाती हैं. किसानों का यह भी कहना है कि संसद सत्र के दौरान वे दिल्ली पहुंचे हैं और उन्हें उम्मीद है कि सरकार उन्हें बैरंग नहीं लौटाएगी. नासिक के किसान कई महीनों से प्याज के भाव को लेकर परेशान हैं और वे सरकार से बार-बार गुहार लगा रहे हैं कि उनके हितों की रक्षा की जाए.