
देश की ज्यादातर मंडियों में नवंबर 2025 के दौरान गेहूं के थोक दाम पिछले साल की तुलना में नीचे रहे. मात्र कुछ राज्यों में ही हल्की बढ़त दिखी. लेकिन, समग्र रूप से देखा जाए तो ज्यादातर राज्यों में नवंबर 2024 के मुकाबले नवंबर 2025 में गेहूं के भाव नीचे ही रहे. इसके पीछे मुख्य कारण पिछले साल के मुकाबले इस बार बेहतर उत्पादन की उम्मीद, सरकारी हस्तक्षेप और बाजारों में पर्याप्त स्टॉक माना जा रहा है.
सरकार के एगमार्कनेट पोर्टल पर उपलब्ध प्राइस टेंड रिपोर्ट के मुताबिक, राज्यवार आंकड़े देखें तो बिहार, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े उत्पादक राज्यों में सालाना आधार पर दाम में 4 प्रतिशत से लेकर 12 प्रतिशत तक गिरावट दर्ज की गई. रिपोर्ट में बिहार में नवंबर का औसत भाव 2,675 रुपये प्रति क्विंटल रहा, जबकि पिछले साल यही कीमत 2,785 रुपये प्रति क्विंटल थी.
मध्य प्रदेश में भी कीमतें 2,828 रुपये प्रति क्विंटल से घटकर 2,486 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गईं. इसी तरह राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश में भी कीमतों में कमी देखने को मिली. हालांकि पंजाब, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में कुछ बढ़त दर्ज की गई, लेकिन यह बढ़त राष्ट्रीय तस्वीर को बदलने के लिए पर्याप्त नहीं रही.
वहीं, अक्टूबर 2025 के मुकाबले नवंबर 2025 के भाव की बात करें तो यहां मिश्रित स्थिति देखने को मिली है. कई राज्यों में भाव हल्के गिरे, जबकि कुछ राज्यों में बढ़त रही. कर्नाटक, मध्य प्रदेश और यूपी जैसे राज्यों में माह-दर-माह दामों में 0.5 से 8 प्रतिशत तक गिरावट हुई.
दूसरी ओर छत्तीसगढ़ में नवंबर के दाम पिछले महीने की तुलना में करीब 24 प्रतिशत उछलकर 2,744 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए. महाराष्ट्र, दिल्ली और पंजाब में भी नवंबर में कुछ सुधार देखने को मिला. औसतन देखें तो अक्टूबर का राष्ट्रीय मूल्य 2,684 रुपये प्रति क्विंटल था, जो नवंबर में बढ़कर 2,719 रुपये प्रति क्विंटल हो गया.
इधर, रबी सीजन की गेहूं की वर्तमान बुवाई भी तेजी से बढ़ रही है. कई राज्यों में पिछले साल की तुलना में अधिक रकबा रिपोर्ट हो रहा है. समय पर हुई ठंडी हवाओं की शुरुआत, पर्याप्त नमी और मॉनसून के बाद मिट्टी में बचा जल-स्तर किसानों के लिए अनुकूल स्थितियां बना रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ती बुवाई और अनुकूल मौसम के कारण आने वाले महीनों में बाजार में गेहूं की उपलब्धता बेहतर रहेगी.