
मध्य प्रदेश में विपक्षी कांग्रेस ने राज्य की बीजेपी सरकार पर किसान विरोधी नीतियां अपनाने का आरोप लगाया है. कांग्रेस ने कहा कि सत्ता में आने से पहले किए गए वादे जमीन पर गायब हैं. कांग्रेस विधायक और पूर्व कृषि मंत्री सचिन यादव ने कहा कि बीजेपी का चुनावी घोषणा पत्र किसानों के लिए झूठ का पुलिंदा साबित हुआ है और सरकार की नीतियां कंपनियों व बिचौलियों के भले के लिए काम कर रही हैं. इस दौरान कांग्रेस नेता ने राज्य में प्याज और केला फसल के दामों को लेकर भी सरकार को घेरा.
सचिन यादव ने कहा कि बीजेपी ने किसानों को 10 घंटे निर्बाध बिजली, सोयाबीन की एमएसपी पर खरीदी, गेहूं 2700 रुपये और धान 3100 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीद का वादा किया था, लेकिन हकीकत में गांवों में अघोषित बिजली कटौती जारी है, 2025 में सोयाबीन की सरकारी खरीद बंद हो चुकी है और गेहूं की घोषित कीमत और खरीद गारंटी दोनों ही नहीं दिख रही हैं.
उन्होंने कहा कि रबी और खरीफ दोनों सीजन में खाद संकट से किसान परेशान हैं. डीएपी की कमी छिपाने के लिए यह तक कहा गया कि इससे जमीन बंजर हो जाएगी, जो किसानों को गुमराह करने जैसा है. सचिन यादव ने आरोप लगाया कि प्रदेश में मंडी व्यवस्था को आर्थिक रूप से कमजोर करने की साजिश चल रही है.
सचिन यादव ने कहा कि मंडी बोर्ड पर राज्य सरकार का करीब 1700 करोड़ रुपये बकाया है, कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल रहा है. प्रदेश की 259 मंडियों में से करीब 150 में सचिव नहीं हैं. एक सचिव के पास चार-पांच मंडियों का अतिरिक्त प्रभार है और औसतन 100 किलोमीटर तक की दूरी तय करनी पड़ती है. इसके बावजूद सरकार ने मंडी बोर्ड से 1500 करोड़ रुपये और मांगे, जिसका कृषि मंत्री ने भी विरोध किया है.
कांग्रेस नेता ने कहा कि प्याज किसानों को दो रुपये किलो तक का दाम भी नहीं मिल रहा और ट्रैक्टर-ट्रॉली का भाड़ा न निकलने पर फसल फेंकनी पड़ रही है. बुरहानपुर के केले किसान भी उचित दाम से वंचित हैं, जबकि केले को जानबूझकर फसल बीमा से बाहर रखा गया है, जिससे हजारों किसान प्रभावित हैं.
सचिन यादव ने दावा किया कि कमलनाथ सरकार के डेढ़ साल के कार्यकाल में किसानों को सुरक्षा और सम्मान मिला. जय किसान ऋण माफी योजना के तहत दो लाख रुपये तक के फसल लोन माफ किए गए, 10 हॉर्स पावर तक के बिजली बिल आधे किए गए और शुद्ध के लिए युद्ध अभियान के जरिए नकली खाद व बीज पर सख्त कार्रवाई हुई. (पीटीआई)