
प्याज की कीमतों में गिरावट का सिलसिला जारी है, जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है. किसान और निर्यातक दाम में गिरावट रोकने के लिए प्याज एक्सपोर्ट पर लगी 20 फीसदी ड्यूटी को हटाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार अब तक इस मामले को लेकर मौन साधे हुए है. उधर, बांग्लादेश की वजह से भारतीय प्याज के दाम में और गिरावट की संभावना बढ़ गई है. बांग्लादेश के अखबार 'ढाका ट्रिब्यून' के मुताबिक वहां इस साल प्याज की खेती में लगभग 30 फीसदी की वृद्धि हुई है. भारत के किसानों के लिए यह खबर अच्छी नहीं है, क्योंकि बांग्लादेश भारतीय प्याज का प्रमुख आयातक है. अब वहां प्याज की खेती बढ़ी है तो वो आयात कम करेगा, जिससे भारत में कीमतें और कम होने का खतरा बढ़ेगा.
उधर, केंद्रीय कृषि मंत्रालय की एक रिपोर्ट बता रही है कि पिछले एक सप्ताह में (1 से 8 जनवरी 2025) के बीच प्याज के दाम में 10.84 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. जबकि 8 दिसंबर 2024 से 8 जनवरी 2025 के बीच यानी एक महीने में दाम 43.77 फीसदी गिर गए हैं. कम होते दाम से किसान परेशान हैं. बाजार विशेषज्ञों और किसान संगठनों का कहना है कि अगर एक्सपोर्ट पर लगी 20 फीसदी ड्यूटी खत्म नहीं की गई तो दाम और नीचे आ सकते हैं. इस समय खरीफ सीजन का प्याज बबाजार में आ रहा है, जिसे स्टोर भी नहीं किया जा सकता. क्योंकि यह प्याज जल्दी खराब होने लगता है.
कृषि मंत्रालय के अनुसार 8 जनवरी को प्याज का औसत दाम 2128.84 रुपये प्रति क्विंटल रहा. जबकि एक महीने पहले 8 दिसंबर 2024 को 3786.56 रुपये प्रति क्विंटल था. सोलापुर, येवला और धुले मंडी में प्याज का न्यूनतम दाम सिर्फ 200 रुपये प्रति क्विंटल यानी 2 रुपये प्रति किलो तक रह गया. सोलापुर में 10 जनवरी को एक ही दिन में रिकॉर्ड 42,076 क्विंटल प्याज बिकने आया. लासलगांव मंडी में 27,729 क्विंटल प्याज की नीलामी हुई. आवक बढ़ने की वजह से दाम गिरता जा रहा है.
| मंडी | आवक | न्यूनतम | अधिकतम | औसत |
| सोलापुर | 42076 | 200 | 3500 | 1400 |
| येवला | 15000 | 500 | 2401 | 1750 |
| लासलगांव-विंचूर | 4500 | 900 | 2300 | 1900 |
| पंढरपुर | 377 | 400 | 3000 | 2400 |
| सिन्नर | 3790 | 500 | 2200 | 1700 |
| पुणे-मोशी | 521 | 500 | 2500 | 1500 |
| Source:MSAMB/10 जनवरी 2025 |
करीब 25 फीसदी शेयर के साथ भारत दुनिया का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक है, जबकि भारत का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक महाराष्ट्र है जहां देश का 43 फीसदी प्याज पैदा होता है. महाराष्ट्र में कम होते प्याज के भाव से वहां किसानों में सरकार के खिलाफ गुस्सा पैदा हो रहा है. महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संगठन के संस्थापक अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि जब प्याज के दाम कुछ महीनों के लिए बढ़ते हैं तब सरकार उसे कम करवाने के लिए जोर लगा देती है. दो महीने पहले जब अच्छा दाम मिल रहा था तब सरकार ने नेफेड और एनसीसीएफ के जरिए सस्ता प्याज बिकवाना शुरू कर दिया था. अब दाम कम हो रहा है तो उसे ठीक रखने के लिए सरकार को 20 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी खत्म कर देनी चाहिए.
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