किसान आंदोलन के बीच केंद्र सरकार लगातार यह दावा कर रही है कि वो लागत पर 50 फीसदी का मुनाफा जोड़कर कृषि उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय कर रही है. यही नहीं पहले के मुकाबले एमएसपी पर फसलों की ज्यादा खरीद का दावा भी किया जा रहा है. लेकिन, लागत किस आधार पर तय हो रही है, सरकार यह नहीं बता रही है. स्वामीनाथन आयोग ने सी-2 (Comprehensive Cost) यानी संपूर्ण लागत पर 50 फीसदी मुनाफा जोड़कर एमएसपी देने की सिफारिश की थी, लेकिन अभी जो एमएसपी मिल रही है वो इस लागत के आधार पर नहीं तय की गई है. अगर कृषि उपज की सी-2 लागत पर 50 फीसदी लाभ जोड़कर किसानों को एमएसपी मिलने लगे तो उनकी आय बढ़ जाएगी, क्योंकि उन्हें कृषि उपज का ज्यादा दाम मिलना शुरू हो जाएगा. किस कृषि उपज पर कितना अधिक पैसा मिलेगा, आज आपको इसका पूरा ब्योरा मिलेगा.
खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान का मौजूदा एमएसपी 2300 रुपये प्रति क्विंटल है. लेकिन अगर इसे सी2+50 वाले फार्मूले से तय किया जाए तो किसानों को 3012 रुपये प्रति क्विंटल मिलेगा. यानी अभी किसानों को 712 रुपये प्रति क्विंटल कम मिल रहे हैं. संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से लोगों को गुमराह करना बंद करने और एमएसपी पर श्वेत पत्र के माध्यम से ए2+एफएल+50% और सी2+50% एमएसपी के बीच अंतर को सामने लाने की मांग की है.
एसकेएम ने कहा है कि भारत में धान की औसत उत्पादकता 2390 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर मानी जाती है. इसलिए सी-2 फार्मूले से एमएसपी न मिलने के कारण धान की खेती करने वाले किसानों को प्रति हेक्टेयर 17,016 रुपये का नुकसान हो रहा है. किसानों के इस नुकसान के बावजूद सरकार डॉ. एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय किसान आयोग की सी2+50% की दर से एमएसपी की सिफारिश को मंजूरी देने के लिए तैयार नहीं है. यही नहीं, सांसद चरनजीत सिंह चन्नी की अध्यक्षता वाली कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण (2024-25) पर संसदीय स्थायी समिति की पहली रिपोर्ट (अठारहवीं लोकसभा) में की गई सिफारिश भी सरकार को मंजूर नहीं है.
सिफारिश में "समिति ने पाया कि भारत में कृषि सुधार और किसानों के कल्याण के बारे में बातचीत में एमएसपी का कार्यान्वयन एक केंद्र बिंदु बना हुआ है. समिति का मानना है कि देश में एक मजबूत और कानूनी रूप से बाध्यकारी एमएसपी को लागू करना वित्तीय स्थिरता, बाजार की अस्थिरता से सुरक्षा और ऋण के बोझ को कम करके भारत में किसान आत्महत्याओं को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है.
फसल | वर्तमान एमएसपी | सी-2 वाली एमएसपी | किसानों का नुकसान |
गेहूं | 2275 | 2478 | 203 |
जौ | 1850 | 2421 | 571 |
चना | 5440 | 6820.5 | 1380.5 |
सरसों | 5650 | 6102 | 452 |
*रुपये/क्विंटल/2024-25 |
यह नुकसान तो सी-2 फार्मूले के आधार पर एमएसपी न घोषित करने से है. कड़वा सच तो यह है कि अभी सरकार जो ए-2 प्लस एफएल फार्मूले के आधार पर एमएसपी घोषित कर रही है, उसे भी मिलने की गारंटी नहीं है. ऐसे में किसान संगठन एमएसपी को लेकर दो महत्वपूर्ण मांग कर रहे हैं. पहली मांग सी-2 फार्मूले के आधार पर दाम तय करने की है. दूसरी मांग उसकी लीगल गारंटी देने की है, ताकि सरकार और निजी क्षेत्र दोनों एमएसपी से कम कीमत पर कृषि उपज की खरीद न कर पाएं. सरकार समर्थक अर्थशास्त्री एमएसपी की लीगल गारंटी को इकोनॉमी के लिए घातक बता रहे हैं. जबकि किसान संगठन उनसे पूछ रहे हैं कि किसानों के पास ज्यादा पैसा आ जाएगा तो वो इकोनॉमी के लिए खतरा कैसे बन जाएगा?
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