
वर्तमान में वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितताओं और भू-राजनीतिक तनाव का माहौल बना हुआ है, लेकिन इसके बावजूद कृषि जिंसों (Agri Commodities) के बाजार को लेकर 2026 के लिए तस्वीर पूरी तरह नकारात्मक नहीं दिख रही है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनाज और तिलहन की आयात मांग स्थिर रहने की उम्मीद जताई जा रही है, जिससे आने वाले समय में कीमतों को सहारा मिल सकता है. विश्लेषकों की माने तो नए बाजारों और नए उपयोगों के चलते कृषि जिंसों की मांग में धीरे-धीरे सुधार देखने को मिल सकता है.
'बिजनेसलाइन' की रिपोर्ट के मुताबिक, फिच सॉल्यूशंस की इकाई- रिसर्च एजेंसी BMI ने कहा है कि 2026 में अनाज की कीमतें सालाना औसत के आधार पर बढ़ सकती हैं. हालांकि, एजेंसी ने यह भी संकेत दिया है कि 2025-26 सीजन में मजबूत मौसमी उत्पादन के कारण मौजूदा स्तरों से कीमतों में बहुत तेज उछाल देखने को नहीं मिलेगा. अच्छी फसल से साल भर बाजार में पर्याप्त उपलब्धता बनी रह सकती है.
वहीं, ऑस्ट्रेलियन ब्यूरो ऑफ एग्रीकल्चर एंड रिसोर्स इकोनॉमिक्स यानी ABARES के अनुसार, रिकॉर्ड वैश्विक उत्पादन के कारण अनाज की कीमतों पर दबाव बना रह सकता है. एजेंसी ने अनुमान जताया है कि गेहूं का वैश्विक उत्पादन 828 मिलियन टन तक पहुंच सकता है, जो अब तक का सबसे ऊंचा स्तर होगा. इसी वजह से 2025-26 में गेहूं समेत अन्य मोटे अनाजों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में नरमी रहने का अनुमान है.
अमेरिकी निवेश बैंक मॉर्गन स्टेनली ने 2026 को लेकर अपने आउटलुक को ‘सावधानी भरी उम्मीद’ बताया है. बैंक के विश्लेषकों के मुताबिक, शुरुआती 2020 के दशक में देखी गई भारी कीमत अस्थिरता के बाद अब कई कृषि बाजार अपेक्षाकृत स्थिर दौर में प्रवेश कर चुके हैं. मजबूत फसल, बेहतर सप्लाई चेन और पर्याप्त भंडार के चलते कई क्षेत्रों में खाद्य जिंसों की कीमतें काबू में रही हैं.
मॉर्गन स्टेनली के अनुसार, 2025 में गेहूं और मक्का जैसी फसलों की वैश्विक आपूर्ति पर्याप्त रही, जिससे कीमतों में नरमी देखने को मिली. हालांकि, बैंक का मानना है कि कीमतें स्थिर रहने के बावजूद कृषि जिंसों के वैश्विक व्यापार की मात्रा आगे बढ़ सकती है, जिससे निर्यातक देशों और एग्री सेक्टर को फायदा होगा.
इस साल गेहूं, चावल, कपास, पाम ऑयल, चीनी, कोको, रेपसीड और मक्का जैसी कई प्रमुख जिंसों के दाम दबाव में रहे हैं. BMI का अनुमान है कि 2026 में अनाज की कीमतों में औसत आधार पर सुधार हो सकता है. इससे निर्यातक किसानों, कृषि इनपुट सप्लायर्स और अनाज पर निर्भर अर्थव्यवस्थाओं को फायदा मिलने की संभावना है, जबकि खाद्य उद्योग और सरकारों के लिए लागत बढ़ने की चुनौती खड़ी हो सकती है.
तिलहन बाजार को लेकर रुझान अपेक्षाकृत मजबूत दिख रहा है. ABARES के अनुसार, 2025-26 में वैश्विक तिलहन कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है, क्योंकि खपत की रफ्तार उत्पादन से तेज बनी हुई है. यूरोप और दक्षिण अमेरिका में उत्पादन मजबूत रहने के बावजूद कुल आपूर्ति सीमित रह सकती है. BMI ने इंडोनेशिया में B50 बायोडीजल जैसे नीतिगत फैसलों को भी तिलहन बाजार के लिए अहम कारक बताया है.
हालांकि, चीन की ओर से सोयाबीन खरीद को लेकर बाजार में सतर्कता बनी हुई है. BMI का मानना है कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक गतिविधियों में सुधार भले हो, लेकिन यह ऐतिहासिक स्तरों से कम रह सकता है और ज्यादातर सरकारी खरीद तक सीमित रहने की संभावना है.