कयास लगाए जा रहे हैं कि चुनाव आयोग फरवरी महीने के अंत में या फिर मार्च के पहले सप्ताह में लोकसभा चुनाव की घोषणा कर सकता है. लेकिन उससे पहले किसानों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कहा जा रहा है कि 13 फरवरी को किसान एक बार फी अपनी मांगों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डालेंगे. इससे केंद्र सरकार के सामने फिर से मुसीबत खड़ी हो सकती है. खास बात यह है कि दिल्ली कूच करने को लेकर किसान संगठन लगातार बैठकें कर रहे हैं. इसके लिए वे अलग- अलग राज्यों में जाकर महापंचायतों का आयोजन भी कर रहे हैं.
सोनीपत में किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा है कि किसानों के आंदोलन के बाद केंद्र सरकार ने नए कृषि कानून को रद्द कर दिया था. लेकिन, अभी तक किसानों की एक भी मांग पूरी नहीं कई गई है. ऐसे में किसान अपनी मांगों को मनवाने के लिए फिर से 13 फरवरी को दिल्ली के लिए कूच करेंगे और आंदोलन शुरू करेंगे. उन्होंने कहा कि 13 फरवरी को पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित लगभग पूरे देश से किसान दिल्ली की समाओं पर पहुंचेंगे और अपनी मांगों को मनवाने के लिए सरकार पर दबाव डालेंगे.
वहीं, पिछले हफ्ते संयुक्त किसान मोर्चा और 18 किसान संघों ने पंजाब के बरनाला में महापंचायत आयोजित की थी. इस महापंचायत में किसान नेताओं ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी कानून बनाने और स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की मांग की थी. खास बात यह है कि इस दौरान पूरे उत्तर भारत से आए किसानों ने 13 फरवरी को राष्ट्रीय राजधानी तक 'दिल्ली चलो' मार्च की भी घोषणा की. इस दौरान किसानों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
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महापंचायत को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन (एकता-सिद्धूपुर) प्रधान जगजीत सिंह दलेवाल ने कहा कि हम एमएसपी की गारंटी के लिए कानून बनाने, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को सी2 (उत्पादन की व्यापक लागत) प्लस 50 प्रतिशत फॉर्मूले के अनुसार लागू करने और किसानों- मजदूरों की ऋण माफी की मांग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि 2006 की अपनी रिपोर्ट में राष्ट्रीय किसान आयोग के अध्यक्ष एमएस स्वामीनाथन ने कृषि लागत और मूल्य आयोग को उत्पादन की भारित औसत लागत से कम से कम 50 प्रतिशत अधिक एमएसपी तय करने का सुझाव दिया था. इसके बाद भी केंद्र सरकार इसे लागू नहीं कर पाई है. वहीं, किसानों ने 3 अक्टूबर, 2021 को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय की भी मांग की, जो किसानों द्वारा तत्कालीन उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के क्षेत्र के दौरे के विरोध के बाद भड़की थी.
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