MGNREGA Act : मनरेगा मजदूर कोश‍िश कर रहे भरसक, मगर खाते से आधार को लिंक नहीं कर रहे रोजगार सेवक

MGNREGA Act : मनरेगा मजदूर कोश‍िश कर रहे भरसक, मगर खाते से आधार को लिंक नहीं कर रहे रोजगार सेवक

मनरेगा मजदूरों की मजदूरी का पेमेंट समय से हो, इसके लिए सरकार ने इनके बैंक खातों को आधार से लिंक कराना अनिवार्य कर दिया है. इसके लिए MGNREGA कानून की प्रक्रिया में बदलाव कर इस व्यवस्था को 6 महीने पहले ही लागू कर दिया गया, मगर यूपी के तमाम गांवों में मजदूर अभी तक इसके लिए बैंकों के चक्कर काट रहे हैं.

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MGNREGA Act : मनरेगा मजदूर कोश‍िश कर रहे भरसक, मगर खाते से आधार को लिंक नहीं कर रहे रोजगार सेवकयूपी में उन मनरेगा मजदूरों को पेमेंट में हो रही देरी, जिनके खाते आधार से नहीं हुए लिंक (फोटो,किसान तक)

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण राेजगार गारंटी कानून यानी मनरेगा के तहत देश भर में ग्रामीण मजदूरों को साल भर नियमित तौर पर काम दिया जाता है. इसके एवज में मजदूरों का पेमेंट DBT के माध्यम से उनके बैंक खाते में किया जाता है. वास्तविक लाभार्थी को ही समय से पेमेंट सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने मनरेगा मजदूरों के बैंक खाते आधार से लिंक कराना अनिवार्य कर दिया है. इसका पालन कराने की जिम्मेदारी ग्राम प्रधान और रोजगार सेवक को दी गई है. जिन गांवों में ग्राम प्रधान और रोजगार सेवक सजग एवं सक्रिय हैं, उन गावों में यह काम हो गया है. ये प्रावधान लागू होने के 6 माह बीतने के बाद भी ऐसे गांव हैं, जिनमें मनरेगा मजदूरों को अपने Job Card को आधार से लिंक कराने के लिए बैंकों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं.

प्रधान नहीं कर रहे मदद

यूपी के गरीब और पिछड़े ग्रामीण इलाकों वाले Bundelkhand में मनरेगा मजदूरों की समस्याएं कम नहीं हो रही हैं. नियमित तौर पर काम न मिलने और समय से मजदूरी का भुगतान न होने के बाद अब मनरेगा मजदूरों को बैंक खाता आधार से लिंक कराने में खासी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. आधार से खाता लिंक न हो पाने के कारण मजदूरों का भुगतान अब या तो अटक गया है, या फिर उन्हें अपने किसी परिजन के बैंक खाते में मजदूरी मंगानी पड़ रही है.

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रोजगार सेवक की है जिम्मेदारी

झांसी जिले में घुघुआ गांव के प्रधान रामकुमार कुशवाहा ने किसान तक को बताया कि उन्होंने 6 महीने पहले ही शासन के इस आदेश का पालन रोजगार सेवक के माध्यम से करा दिया था. उन्होंने बताया कि उनके गांव में लगभग 250 मनरेगा मजदूर हैं. शासन ने इन मजदूरों के जॉब कार्ड और बैंक खाते को आधार से लिंक कराने की जिम्मेदारी रोजगार सेवक को दी है.

कुशवाहा ने बताया कि Poor and Farmer welfare की योजनाओं का लाभ वास्तविक लोगों तक तक पहुंचाने में बाधक बन रही तकनीकी समस्याओं से निजात दिलाने की जिम्मेदारी निभाने के लिए ही हर गांव में रोजगार सेवक तैनात हैं. ग्राम प्रधान इनके माध्यम से शासन की योजनाओं को लाभार्थियों तक पहुंचाना सुनिश्चित करते हैं. उन्होंने कहा कि घुघुआ गांव के अब उन चुनिंदा मजदूरों के खाते ही आधार से लिंक नहीं हो पाए हैं, जो गांव से बाहर दूसरे राज्यों में काम करने के लिए चले गए हैं. स्पष्ट है कि जिन गांवों में मजदूरों के खाते आधार से लिंक नहीं हो पा रहे हैं, उनमें ग्राम प्रधान और रोजगार सेवक ही इसके लिए जवाबदेह हैं.

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ये हैं फायदे

कुशवाहा ने बताया कि आधार से जॉब कार्ड लिंक कराने से दो मुख्य फायदे हैं. पहला, मनरेगा मजदूरों को मजदूरी का पेमेंट अब समय से होने लगा है. पहले इसके भुगतान में 2 से 3 महीने लग जाते थे, मगर अब एक सप्ताह के भीतर ही मजदूरी का पैसा लाभार्थी के बैंक खाते में चला जाता है.

उन्होंने बताया कि दूसरा लाभ यह हुआ है कि अब मजदूरी का पैसा वास्तविक लाभार्थी को मिलने लगा है. साथ ही अगर लाभार्थी के बैंक खाते में कोई तकनीकी दिक्कत सामने आ रही है तो उसके परिवार के किसी सदस्य के खाते में पैसा जमा कराना अब मुमकिन हो गया है. इससे मजदूर को समय से मजदूरी का भुगतान होने लगा है. उन्होंने कहा कि आधार से जॉब कार्ड लिंक होने के बाद मजदूर अपने पुत्र या पत्नी के बैंक खाते में अपनी मजदूरी ले सकता है.

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