पंजाब-हरियाणा के किसानों के लिए कृषि एडवाइजरी जारी, फसल बचाने के लिए इन दवाओं का प्रयोग जरूरी

पंजाब-हरियाणा के किसानों के लिए कृषि एडवाइजरी जारी, फसल बचाने के लिए इन दवाओं का प्रयोग जरूरी

IMD ने बताया है कि घने कोहरे और पाले को देखते हुए फसलों की निगरानी जरूरी है. पाले के चलते फसलों पर कीट और रोगों का प्रकोप हो सकता है जिससे बचाव के लिए उचित दवाओं का छिड़काव जरूरी हो जाता है. किसान कृषि एडवाइजरी के तहत जान सकते हैं कि किन-किन दवाओं का प्रयोग सही रहेगा.

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पंजाब-हरियाणा के किसानों के लिए कृषि एडवाइजरी जारी, फसल बचाने के लिए इन दवाओं का प्रयोग जरूरीपाले से फसलों को बचाने के लिए दवाओं का छिड़काव जरूरी

भारत मौसम विज्ञान विभाग यानी कि IMD ने मौसम पूर्वानुमान जारी करने के साथ ही फसलों के लिए भी कृषि सलाह जारी की है. कृषि सलाह में बताया गया है कि किसानों को अपनी फसलों का कैसे ध्यान रखना है. घने कोहरे से हवा में नमी बढ़ने से फसलों पर पाले का प्रकोप बढ़ गया है. इससे कई रबी फसलें खतरे की स्थिति में आ गई हैं. इससे बचने के लिए आईएमडी ने राज्यवार किसानों को फसल सुरक्षा के बारे में बताया है. आईएमडी ने यह भी बताया है कि किसान अपनी फसलों पर दवाओं का उचित प्रयोग कर पाले से बचाव कर सकते हैं. आइए पंजाब और हरियाणा के बारे में जानते हैं कि आईएमडी ने किसानों को क्या सलाह दी है.

आईएमडी ने कहा है, पंजाब में फसलों को बचाने के लिए किसान नर्सरी पौधों को ढक दें और हल्की सिंचाई करें. पौधों को ठंड से बचाने के लिए पॉलिथीन शीट/सरकंडा/कही/चावल के भूसे या गीली घास डालें.

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पंजाब के लिए जरूरी सलाह

  • किसान पश्चिमी क्षेत्र में टमाटर की रोपाई जारी रखें. आलू की नई फसल में पिछेती झुलसा रोग के प्रबंधन के लिए इंडोफिल एम-45 @ 500-700 ग्राम को 250-350 लीटर पानी में मिलाकर 7 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करें. गंभीर संक्रमण की स्थिति में फसल पर मेटालैक्सिल 4% और मैन्कोनजेब 64% का छिड़काव करें.
  • मैदानी क्षेत्र में गेहूं की फसल, तिलहन की फसल, गन्ने की फसल में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें. आलू की फसल को पछेती झुलसा रोग से बचाने के लिए इंडोफिल एम-45/मास एम-45/मार्कजेब/एंट्राकोल/कवच @500-700 ग्राम या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 डब्लूपी/मार्क कॉपर @750-000 ग्राम/एकड़ की दर से 250-350 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. 7 दिन के अंतराल पर छिड़काव जारी रखें.
  • ठंड के मौसम के विपरीत प्रभावों को रोकने के लिए किसान सदाबहार फलों के पौधों को प्लास्टिक शीट, चावल के भूसे, हरे जाल आदि से ढकें. सदाबहार फलों के पेड़ों में हल्की सिंचाई करें. फलों के बगीचों में सिंचाई करने से बचें. 
  • मैदानी क्षेत्र में सूरजमुखी की बुवाई करें. प्याज की नर्सरी में नियमित अंतराल पर सिंचाई करें. प्याज की 6-8 सप्ताह पुरानी पौध को जनवरी के पहले पखवाड़े में खेत में रोपें.
  • एफिड आबादी के लिए राया की निगरानी करें. यदि बीमारी दिखे तो एक्टारा 25 डब्लूजी @ 40 ग्राम या मेटासिस्टॉक्स 25 ईसी @ 400 मिली या रोजर 30 ईसी @ 400 मिली और क्लोरपाइरीफॉस @ 600 मिली @ 80 -125 लीटर पानी में प्रति एकड़ छिड़काव करें.
  • मध्य मैदानी क्षेत्र में फसलों में आवश्यकता आधारित सिंचाई करें. सतह से गर्मी के नुकसान को कम करने के लिए सब्जियों की फसल में मल्चिंग की जा सकती है. स्क्लेरेक्टिनिया तना सड़न के प्रबंधन के लिए इस अवधि के दौरान राया में सिंचाई करने से बचें.
  • पछेती झुलसा रोग के लिए आलू की फसल का नियमित रूप से सर्वेक्षण करें, इंडोफिल एम45/एंट्राकोल/कवच @ 500-700 ग्राम या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 डब्ल्यूपी/ मार्क कॉपर @ 750-1000 ग्राम/एकड़ @ 250-350 लीटर पानी में सात दिनों के अंतराल पर छिड़काव करें.
  • पश्चिमी मैदानी क्षेत्र में सूरजमुखी की बुवाई करें. पछेती झुलसा रोग के लिए आलू के खेत की नियमित निगरानी करें और यदि लक्षण दिखाई दे तो फसल पर इंडोफिल एम-45/मार्कजेब/कवच @ 500-700 ग्राम को 250-350 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें.

हरियाणा के किसान ध्यान दें

हरियाणा में गेहूं, जौ, आलू और सब्जी की फसलों में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें. सरसों, चना की फसल को ठंड से बचाने के लिए स्प्रिंकलर सिंचाई करें. तना गलन की रोकथाम के लिए सरसों की फसल की बुवाई के 65-70 दिन बाद कार्बेन्डाजिम (बाविस्टिन) 0.1% का छिड़काव करें. सफेद रतुआ के लिए सरसों की फसल की नियमित निगरानी करें.

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सरसों में 600-800 ग्राम मैंकोजेब (डाइथेन एम-45) को 250 से 300 लीटर पानी में प्रति एकड़ मिलाएं और 15 दिनों के अंतराल पर 2-3 बार छिड़काव करें. आलू में झुलसा रोग के लिए मौसम अनुकूल है, मैंकोजेब 600-800 ग्राम 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें. फिर 15 दिन बाद दोबारा छिड़काव करें.

 

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