उत्तर प्रदेश के अमरोहा में गंगा नदी ने दर्जनों गांवों को अपनी चपेट में ले लिया है. आलम ये है कि प्राथमिक स्कूल बंद हैं, सड़कों पर कई फीट ऊपर पानी चल रहा है, क्या घर-मकान और क्या खेत, चारों तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा है. इन गांवों में ट्रैक्टर के अलावा किसी भी वाहन से सफर कर पाना नामुमकिन है. खाने-पीने का सामान लाने के लिए भी ट्रैक्टर की सवारी की जाती है. इमरजेंसी सेवा के नाम पर भी केवल ट्रैक्टर ही है. ये भी सिर्फ दिन में संभव है, किसी मेडिकल सेवा के लिए रातभर इंतजार करना पड़ता है. मजबूर ग्रामीण ट्रैक्टर के जरिए गांव से बाहर आते-जाते हैं. ये हाल किसी एक गांव का नहीं है, अमरोहा के दर्जनों गांव की तस्वीर एक जैसी ही है.
इन गावों में पशुओं का चारा भी लोग ट्रैक्टर ट्रॉली के जरिए घरों तक ले जाने को मजबूर दिखाई पड़ रहे हैं. फिलहाल गंगा का बढ़ता जलस्तर और लगातार बारिश ने स्थानीय लोगों की मुसीबतें बढ़ा रखी हैं. गंगा के किनारे बसे कई गांवों में गंगा तांडव मचा रही है, जीवन अस्त व्यस्त है, चारों तरफ पानी के सिवाय कुछ नजर नहीं आता और मजबूर ग्रामीण पलायन कर रहे हैं. प्रशासनिक मदद के अभाव में ग्रामीण खुद की ट्रैक्टर-ट्रॉली के सहारे राहत के काम में जुटे हैं.
इसी दौरान दर्जनों गांवों को जोड़ने वाले संपर्क मार्ग पर एक भारी भरकम ट्रैक्टर ट्रॉली पलट गई. जिसके बाद एक मात्र रास्ता भी अब बंद हो गया है. अब ट्रैक्टर मालिक किसान अपने ट्रैक्टर को सुरक्षित बाहर निकालने को लेकर चिंतित है. ट्रैक्टर ट्रॉली में सवार ग्रामीण अपने चारे के बंडलों को लेकर घरों को रवाना हो गए. मगर राहत-बचाव दस्ता यहां नहीं पहुंचा है. इस ट्रैक्टर ट्रॉली के पलटने से ग्रामीणों की मुसीबत और बढ़ गई है.
दरअसल, गंगा धाम तिगरी के आसपास के इलाके पूरी तरह से जलमग्न हो गए हैं. यहां खेत और सड़क सब गंगा नदी में समा गए. मगर बाढ़ पीड़ित ग्रामीणों के लिए जिला प्रशासन नाव तक उपलब्ध नहीं करा सका और मजबूर ग्रामीण ट्रैक्टर-ट्रॉली से चलने को मजबूर हैं. चाहे पशुओं के लिए चारे का इंतजाम करना हो, या आवागमन करना हो, गाव वाले ट्रैक्टर ट्रॉली और बैल गाड़ी के ही सहारे हैं. कुछ ग्रामीण जिनके पास ट्रैक्टर नहीं है, वे पानी में पशु गाड़ी को तैराकर काम चला रह हैं.
गौरतलब है कि अमरोहा में गंगा ने विकराल रूप ले लिया है. बहाव की रफ्तार लगातार बढ़ती नजर आ रही है. मगर चिंता की बात है कि अभी तक जिम्मेदार अधिकारियों ने इन इलाकों का रुख करने की कोशिश तक नहीं की है. राहत के नाम पर भी ये इलाका प्रशासन की नजर में नहीं आया है. यहां ग्रामीण अपने दम पर ही जीवन यापन और बाढ़ से जंग लड़ने को मजबूर नजर आ रहे हैं. रेस्क्यू से लेकर राहत बचाव की जिम्मेदारी भी ग्रामीणों के कंधों पर स्वयं हैं.
(रिपोर्ट- बी एस आर्य)
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