विदेशों में भारत के गोबर की भारी मांग, नाम दिया ब्राउन गोल्ड, कीमत 40 से 50 रुपये किलो

विदेशों में भारत के गोबर की भारी मांग, नाम दिया ब्राउन गोल्ड, कीमत 40 से 50 रुपये किलो

जैविक खाद के लिए सबसे ज्यादा गाय के गोबर का इस्तेमाल किया जा रहा है. रासायनिक खादों के दुष्प्रभावों को देखते हुए अब सरकार भी किसानों को जैविक खाद का इस्तेमाल करने की सलाह दे रही है. इसके साथ ही विदेशों में भी जैविक खाद की मांग बढ़ रही है. इसका फायदा अब भारतीय किसानों को मिल रहा है.

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प्राची वत्स
  • Noida,
  • May 20, 2025,
  • Updated May 20, 2025, 1:17 PM IST

भारत को कृषि का देश कहा जाता है. कृषि का मतलब सिर्फ खेती ही नहीं बल्कि इसमें पशुपालन, पक्षी पालन और अन्य तरह के काम भी शामिल हैं. जिससे किसानों को अलग-अलग तरह से लाभ मिल सकता है. अगर ऐसे किसानों की बात करें तो पशुपालन करके अपना जीवनयापन करते हैं तो उनके लिए यह एक सुनहरा मौका सामने आया है. आपको बता दें कि विदेशों में जैविक खेती का चलन बढ़ रहा है. खासकर अगर अरब देशों की बात करें तो यहां खजूर की खेती के लिए गोबर की मांग बढ़ रही है.

ऐसे में वे इस मांग को पूरा करने के लिए भारत से बड़ी मात्रा में गोबर खरीद रहे हैं. इतना ही नहीं वे इसके लिए ज्यादा पैसे भी दे रहे हैं. इसलिए अब इसे Brown Gold भी कहा जाने लगा है. तो आइए जानते हैं कि किसान इसे कैसे बेचकर पैसे कमा सकते हैं.

क्या है ब्राउन गोल्ड?

आजकल गोबर को सिर्फ खाद या कंडे बनाने तक ही सीमित नहीं देखा जा रहा, बल्कि इसे अब "ब्राउन गोल्ड" कहा जाने लगा है. इसका कारण है कि गोबर की अब विदेशों में बहुत ज्यादा मांग बढ़ गई है. खासकर अरब देशों में, जहां ऑर्गेनिक खेती तेजी से बढ़ रही है, वहां भारतीय गोबर की भारी डिमांड हो रही है.

क्यों बढ़ रही गोबर की मांग?

विदेशों में, खासकर मिडिल ईस्ट के देशों जैसे दुबई, सऊदी अरब, ओमान आदि में डेट्स (खजूर) की खेती के लिए ऑर्गेनिक खाद की जरूरत होती है. रासायनिक खाद की जगह वे अब देशी गोबर का उपयोग करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं. भारत का गोबर प्राकृतिक और पौष्टिकता से भरपूर माना जाता है, इसलिए इसकी बड़ी मात्रा में मांग की जा रही है.

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भारत बन रहा है गोबर का निर्यातक

जहां पहले गोबर को गांवों में मुफ्त में दिया जाता था या खेतों में फैला दिया जाता था, अब वही गोबर विदेशों को बेचा जा रहा है. भारत में गोबर की कीमत जहां 2 से 3 रुपये प्रति किलो होती है, वहीं विदेशों में यह 40 से 50 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है. यह किसानों के लिए एक नई आमदनी का जरिया बन गया है.

किसानों को हो रहा सीधा फायदा

अब कई गौशालाएं और डेयरी फार्म गोबर को पैक करके कंपनियों या एक्सपोर्ट हाउस को बेच रहे हैं. कुछ राज्य सरकारें भी इसमें किसानों की मदद कर रही हैं और गोबर के व्यापार को संगठित रूप देने के लिए योजना बना रही हैं. इससे किसानों को अतिरिक्त आय, गोबर के बेहतर दाम, रोजगार के नए अवसर और पशुपालन को बढ़ावा मिल रहा है.

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किसान कैसे बेच सकते हैं गोबर?

अगर आप किसान हैं और आपके पास गाय, भैंस या अन्य पालतू जानवर हैं, तो आप भी इस व्यापार में शामिल हो सकते हैं:

  • गौशाला या फार्म से गोबर इकट्ठा करें.
  • गोबर को सुखाकर या खाद के रूप में तैयार करें.
  • स्थानीय एक्सपोर्ट एजेंसी, सरकारी योजना या निजी कंपनी से संपर्क करें.
  • ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स (जैसे कृषि ऐप या पोर्टल्स) के जरिए बिक्री करें.

गोबर जिसे पहले एक बेकार चीज माना जाता था, आज वह "ब्राउन गोल्ड" बन चुका है. इससे ना केवल किसान को अतिरिक्त आमदनी मिल रही है बल्कि भारत अब ऑर्गेनिक खेती में योगदान देने वाला प्रमुख देश भी बन रहा है. ऐसे में यह समय है कि किसान गोबर को केवल खाद नहीं, बल्कि कमाई का साधन समझें और इसका अधिक से अधिक उपयोग करें.

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