वायरस अटैक के कारण सुपारी किसानों को हुए नुकसान की भरपाई होगी: शिवराज सिंह

वायरस अटैक के कारण सुपारी किसानों को हुए नुकसान की भरपाई होगी: शिवराज सिंह

सुपारी उत्पादक किसानों की भलाई के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में दिल्ली में हुई उच्चस्तरीय बैठक. शिवराज सिंह के साथ केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी और एच.डी. कुमार स्वामी सहित कर्नाटक के सांसद और सहकारी संगठनों के पदाधिकारी बैठक में हुए शामिल.

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क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Aug 21, 2025,
  • Updated Aug 21, 2025, 8:41 PM IST

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में गुरुवार को दिल्ली में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई, जिसमें केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी और एच.डी. कुमारस्वामी सहित कर्नाटक के सांसदगण और विभिन्न मंत्रालयों के अधिकारी उपस्थित रहे. बैठक में सुपारी उत्पादक किसानों की भलाई और उनकी समस्याओं के समाधान से संबंधित विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई. इस दौरान शिवराज सिंह ने कहा कि किसानों के हित सुरक्षित रहेंगे और वे स्वयं कर्नाटक का दौरा करके स्थिति का जायजा लेंगे.

सुपारी पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की रिपोर्ट को लेकर चर्चा करते हुए केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि एक रिपोर्ट से कर्नाटक की सुपारी को लेकर कैंसरजन्य होने संबंधी कुछ भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है. उन्होंने कहा कि सुपारी को लेकर WHO की रिपोर्ट से उत्पन्न भ्रांतियों को दूर करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के वैज्ञानिकों की टीम परीक्षण कर रही है. उन्होंने, बैठक में टीम को जल्द रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया.

सुपारी में एरोलिफ बीमारी का खतरा

शिवराज सिंह ने कहा कि भारत में प्राचीन काल से लोग सुपारी खाते आ रहे हैं. हमारे यहां हर मंगल कार्यों में सुपारी का उपयोग होता है. शिवराज सिंह ने कहा कि एरोलिफ जैसी बीमारी, जो सुपारी के वृक्षों को नष्ट कर देती है, उसके नियंत्रण के लिए वैज्ञानिकों की टीम काम कर रही है. साथ ही, क्लीन प्लांट उपलब्ध कराने पर भी चर्चा हुई है. शिवराज सिंह ने कहा कि वायरस के कारण सुपारी के किसानों को हुए नुकसान की भरपाई के विषय पर भी अधिकारियों को गंभीरता और शीघ्रता से काम करने के निर्देश दिए गए हैं. बैठक में, सुपारी के अवैध आयात, नमी की समस्या और छोटी-बड़ी सुपारी के दामों में अंतर जैसे अन्य मुद्दों पर भी विस्तार से बातचीत की गई. 

शिवराज सिंह ने कहा कि हमारा यह संकल्प है कि सभी मुद्दों का समयबद्ध समाधान निकाला जाएगा और किसानों और सुपारी से जुड़े सहकारिता क्षेत्र के हित पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे.

कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने यह भी कहा कि सुपारी एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक फसल है, जिसे भारत में सभी धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अनुष्ठानों में स्थान दिया जाता है. उन्होंने कहा कि सुपारी में मौजूद अनेक एल्कलॉइड के कारण इसका उपयोग आयुर्वेदिक और पशु चिकित्सा औषधियों में भी किया जाता है. उन्होंने कहा कि वे स्वयं वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की टीम के साथ कर्नाटक का दौरा करेंगे और स्थिति का जायजा लेते हुए सुपारी उत्पादन के विकास को लेकर आगे की रूपरेखा तय करेंगे.

भारत दुनिया का सबसे बड़ा सुपारी उत्पादक देश

भारत दुनिया का सबसे बड़ा सुपारी उत्पादक देश है. कुल सुपारी उत्पादन में हमारी लगभग 63% हिस्सेदारी है. भारत में वर्ष 2023-24 में 9.49 लाख हेक्टेयर क्षेत्र से लगभग 14 लाख टन सुपारी का उत्पादन हुआ.

कर्नाटक 6.76 लाख हेक्टेयर क्षेत्र से 10 लाख टन सुपारी उत्पादन के साथ पहले स्थान पर है, इसके बाद केरल, असम, मेघालय, मिजोरम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु आदि का स्थान है. देश में उत्पादित सुपारी का मूल्य वर्तमान कीमतों पर लगभग 58,664 करोड़ रुपये है. अनुमान है कि देश में लगभग 60 लाख लोग सुपारी की खेती पर निर्भर हैं.

वर्ष 2023-24 में भारत ने 400 करोड़ रुपये मूल्य की 10,637 टन सुपारी का निर्यात किया. यूएई, वियतनाम, नेपाल, मलेशिया, मालदीव आदि भारतीय सुपारी के प्रमुख निर्यात गंतव्य हैं. देश के सुपारी किसानों के हितों की रक्षा और उन्हें समर्थन देने के लिए भारत सरकार द्वारा विभिन्न कदम उठाए गए हैं. देश में सुपारी का आयात एक बड़ी चुनौती है और सरकार ने इसे कम करने हेतु अनेक उपाय किए हैं. देश में सुपारी के आयात पर 100% आयात शुल्क लगाया गया है. भारत सरकार ने हाल ही में सुपारी के एमआईपी को 251 रुपये प्रति किलोग्राम से संशोधित कर 351 रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया है. भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने अपने क्षेत्रीय कार्यालयों को आयात खेपों को मंजूरी देने से पहले सुपारी की गुणवत्ता मानकों का कड़ाई से पालन करने की सलाह दी है. सीमा शुल्क अधिकारियों को स्रोत के नियमों की अत्यंत सावधानी से जांच करने की सलाह दी गई है. 

कर्नाटक को मिला “विशेष हस्तक्षेप” कार्यक्रम का लाभ

भारत सरकार ने पीली पत्ती रोग (वाईएलडी), लीफ स्पॉट रोग (एलएसडी) जैसी बीमारियों और सुपारी के अन्य मसले की जांच के लिए एक राष्ट्रीय वैज्ञानिक समिति (एनएससी) का गठन किया था. इस बीमारी की रोकथाम के लिए, वित्तीय वर्ष 2024-25 में एमआईडीएच योजना के तहत कर्नाटक राज्य को कुल 3700 लाख की राशि आवंटित की गई थी.

इसके अलावा, वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए, एमआईडीएच योजना के “विशेष हस्तक्षेप” कार्यक्रम के तहत कर्नाटक राज्य को कुल 860.65 लाख रुपये जारी किए गए हैं. इसके अतिरिक्त सुपारी एवं मसाला विकास निदेशालय  द्वारा कर्नाटक के 10 तालुकों में 50 हेक्टेयर क्षेत्र में एलएसडी प्रबंधन के लिए वैज्ञानिक प्रदर्शन कार्यक्रम जिसमें 2024–27 की अवधि के लिए 6.316 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं.

सुपारी और मानव स्वास्थ्य पर साक्ष्य-आधारित अनुसंधान" नामक एक परियोजना को कार्यान्वित किया जा रहा है. इस परियोजना के लिए लगभग 16 राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय एजेंसियां एक साथ काम कर रही हैं. इसके लिए एमआईडीएच योजना के तहत 9.99 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है. वर्तमान में सुपारी एवं मसाला विकास निदेशालय (डीएएसडी) और आईसीएआर-सीपीसीआरआई के सहयोग से फ्रंटलाइन प्रदर्शन कार्यक्रमों को कार्यान्वित किया जा रहा है, ताकि इकाई भूमि से किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा दिया जा सके.

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