राजधानी दिल्ली पर बाढ़ का खतरा लगातार मंडरा रहा है. यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है. कई इलाकों में चेतावनी के साथ ही निचले इलाकों से लोगों को निकाला भी जा रहा है. आपको बता दें कि बुराड़ी, जगतपुर और वजीराबाद इलाकों में यमुना किनारे खेती करने वाले लोगों को भारी नुकसान हुआ है. फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं. खेतों में पानी भर गया है. जिससे किसानों को काफी नुकसान हुआ है. यमुना किनारे खेती करने वाले लोग आखिरकार अपनी जगह छोड़कर पुल पर आने को मजबूर हो गए हैं. अगर पानी इसी तरह बढ़ता रहा तो रिहायशी इलाकों में भी बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है.
राजधानी दिल्ली में यमुना उफान पर है. हथिनी कुंड बराज से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है. जिसके चलते दिल्ली में यमुना खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. खबर लिखे जाने तक यमुना का जलस्तर 205.42 मापा गया. जानकारी के मुताबिक दिल्ली में खतरे का निशान 205.33 है. यानी यमुना इन दोनों खतरे के निशान से ऊपर बह रही है और कुछ इलाकों में चेतावनी भी जारी की गई है. बुराड़ी, जगतपुर और वजीराबाद जैसे इलाकों में यमुना किनारे रहने वाले लोग बाढ़ के खतरे से भी डरे हुए हैं.
लोगों को डर है कि अगर जलस्तर इसी तरह बढ़ता रहा तो रिहायशी इलाकों को भी नुकसान हो सकता है. उधर, यमुना नदी की हालत भी उतनी मजबूत नहीं है. 2023 में जब पुल मजबूत हुई तो जलस्तर बढ़ा और ये इलाके बच गए, वहीं दूसरी ओर बुराड़ी, जगतपुर, वजीराबाद यमुना के किनारे खेती करने वाले किसानों को भी भारी नुकसान हुआ, खेत पूरी तरह पानी में डूब गए, खेत बर्बाद हो गए और अंततः खेतों में रहने वाले मजदूरों और किसानों को अपनी जगह छोड़कर वापस आना पड़ा.
इस साल की शुरुआत में यमुना का जलस्तर कई बार बढ़ा और कई बार हालात सामान्य हुए. इन सबके बीच, लोग डरे हुए हैं क्योंकि यमुना का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. हथिनी कुंड बराज से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है. मैदानी और पहाड़ी इलाकों में लगातार बारिश भी हो रही है और ये सभी कारण दिल्लीवासियों के लिए चिंता का विषय बन गए हैं.
पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश और हरियाणा से छोड़े गए पानी के कारण यमुना का जलस्तर बढ़ गया है. वज़ीराबाद और हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद प्रशासन स्थिति पर नज़र बनाए हुए है. दिल्ली के कई इलाकों में अभी 41,000 क्यूसेक से ज़्यादा पानी छोड़ा गया है, जिससे निचले इलाकों में जलभराव और बाढ़ की आशंका बढ़ गई है. (हराहित मिश्रा का इनपुट)