हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुधवार को ऐलान किया कि राज्य में भारत का पहला सरकारी समर्थन वाला बायोचार (Biochar) कार्यक्रम जल्द ही शुरू होगा. इसके तहत 6 महीने के अंदर हमीरपुर जिले के नेरी में एक बायोचार प्लांट लगाया जाएगा. इसे लेकर शिमला के ओक ओवर में एक त्रिपक्षीय समझौता पत्र (MoA) पर हस्ताक्षर किए गए. इस अवसर पर मुख्यमंत्री सुक्खू, डॉ. वाई एस परमार विश्वविद्यालय ऑफ़ हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्ट्री, नौनी, हिमाचल प्रदेश वन विभाग और चेन्नई की प्रोक्लाइम सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारियों की उपस्थिति में यह MoA साइन किया गया.
बायोचार माइक्रोवेव-सहायित पायरोलीसिस तकनीक से बहुत कम समय में तैयार किया जाने वाला एक उत्पाद है, जो सतत कचरा प्रबंधन की जरूरत को पूरा करता है. इसका इस्तेमाल स्वास्थ्य, कृषि और औद्योगिक क्षेत्रों में किया जा सकता है. शोध बताते हैं कि बायोचार को कोयले का संभावित विकल्प माना जा सकता है. उच्च-ऊर्जा वाले कचरे को इस ऊर्जा उत्पाद में परिवर्तित करने से कार्बन उत्सर्जन को कम करने और IPCC के दो डिग्री सेल्सियस वैश्विक तापमान लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी.
इस दौरान मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा, "यह परियोजना वन आगों की रोकथाम और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. साथ ही, यह स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाएगी और उन्हें जागरूक करेगी." उन्होंने कहा कि इस सहयोग का उद्देश्य पाइन की सूई, लैंटाना, बांस और अन्य पेड़ आधारित बायोमास का इस्तेमाल करके बायोचार का उत्पादन करना है. सुक्खू ने निर्देश दिया कि MoA को छह माह के भीतर लागू किया जाए, ताकि कांगड़ा, मंडी, हमीरपुर, चंबा, बिलासपुर और सोलन जिलों के लोग, विशेषकर पाइन वनों वाले क्षेत्रों को इस परियोजना से फायदा हो.
उन्होंने कहा, "यह पहल न केवल रोजगार सृजन करेगी बल्कि राज्य को कार्बन क्रेडिट अर्जित करने में भी मदद करेगी. वन विभाग के माध्यम से ‘प्रोक्लाइम’ स्थानीय समुदायों को सतत बायोमास संग्रह में शामिल करेगा और इसके लिए हर किलोग्राम बायोमास पर 2.50 रुपये का भुगतान किया जाएगा, साथ ही गुणवत्ता और मात्रा बनाए रखने पर प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन भी मिलेगा."
मुख्यमंत्री ने बताया कि इस कार्यक्रम से सालाना लगभग 50,000 व्यक्ति-दिन की आमदनी पैदा होगी. साथ ही प्लांट संचालन में प्रत्यक्ष रोजगार भी मिलेगा. विश्वविद्यालय के सहयोग से सुरक्षित संग्रह तकनीक, कृषि में बायोचार के उपयोग और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कौशल विकास कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे.
परियोजना के 10 साल के संचालन काल में लगभग 28,800 कार्बन क्रेडिट उत्पन्न होने की उम्मीद है, जो हिमाचल प्रदेश की हरित पहल को और मजबूत करेगा. उन्होंने कहा कि इस त्रिपक्षीय समझौते के तहत वन आगों को रोकने, लैंटाना जैसे आक्रामक पौधों को हटाने और पाइन सूई, बांस और अन्य बायोमास का सतत उपयोग सुनिश्चित करने के लिए एक सहयोगात्मक ढांचा तैयार किया गया है.
सुक्खू ने कहा कि यह पहल मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाएगी, कार्बन अवशोषण को बढ़ावा देगी. अंतरराष्ट्रीय मानकों के तहत कार्बन क्रेडिट उत्पन्न और मुद्रीकरण करेगी और बायोमास संग्रह एवं कौशल विकास के माध्यम से स्थानीय रोजगार सृजन करेगी. प्रोक्लाइम सर्विसेज इस परियोजना के चरणबद्ध कार्यान्वयन में एक मिलियन अमेरिकी डॉलर तक का निवेश करेगी. (पीटीआई)
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