सरसों की खेती में इस खाद का करें इस्तेमाल, दाने में चमक और तेल मिलेगा अधिक

सरसों की खेती में इस खाद का करें इस्तेमाल, दाने में चमक और तेल मिलेगा अधिक

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस अभी सरसों की बिजाई का समय चल रहा है ऐसे में अगर किसान डीएपी की जगह सिंगल सुपर फास्फेट खाद का प्रयोग करें तो सरसों के दाने में चमक आएगी और पैदावार भी ज्यादा बेहतर मिलेगी. 

 कृषि विशेषज्ञ सिंगल सुपर फॉस्फेट इस्तेमाल दे रहे हैं सलाह कृषि विशेषज्ञ सिंगल सुपर फॉस्फेट इस्तेमाल दे रहे हैं सलाह
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Oct 20, 2023,
  • Updated Oct 20, 2023, 3:39 PM IST

सरसों की खेती के लिए डीएपी (DAP) की बजाए अगर क‍िसान सिंगल सुपर फास्फेट (Single Supe Phosphate)  का प्रयोग करें तो लागत कम आएगी और उत्पादन व गुणवत्ता अच्छी होगी. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार सिंगल सुपर फास्फेट में 16 प्रतिशत फास्फोरस के साथ 12 प्रतिशत सल्फर होता है जो कि सरसों के दाने की गुणवत्ता और पैदावार दोनों को बढ़ाता है. डीएपी की तुलना में सिंगल सुपर फास्फेट न केवल सस्ता है बल्कि इससे पैदा होने वाले सरसों की क्वालिटी अच्छी होने की वजह से उसका मंडी में भाव भी अधिक म‍िलेगा.

कई क‍िसान डीएपी की जगह इसी खाद का इस्तेमाल कर रहे हैं. ज‍िसका उन्हें फायदा म‍िल रहा है. ऐसा दावा क‍िया जाता है क‍ि अन्य खादों से पैदा हुई सरसों में तेल की मात्रा 37 फीसदी तक होती है जबकि सिंगल सुपर फास्फेट वाले दाने में यह मात्रा 40 फीसदी तक पहुंच जाती है. हालांक‍ि, क‍िस्मों पर भी तेल की मात्रा न‍िर्भर होती है.

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कृषि विशेषज्ञ दे रहे हैं ये सलाह 

कृषि विशेषज्ञ किसानों को सलाह दे रहे हैं कि तिलहन फसलों में डीएपी (Diammonium Phosphate) के स्थान पर एसएसपी यानी सिंगल सुपर फास्फेट का यूरिया के साथ प्रयोग करना चाहिए. रबी फसलों की बिजाई आरंभ हो चुकी है. किसान तिलहनी फसलों में नाइट्रोजन और फास्फोरस पोषक तत्व की पूर्ति के लिए सामान्य तौर पर डीएपी एवं यूरिया उर्वरकों का प्रयोग करते हैं. जबकि तिलहनी फसलों में उत्पादन और उत्पाद गुणवत्ता में वृद्धि के लिए नाइट्रोजन व फास्फोरस के साथ-साथ गन्धक तत्व की भी आवश्यकता होती है. चूंकि  सिंगल सुपर फास्फेट में फास्फोरस के साथ गन्धक भी पाया जाता है, इसलिए किसानों से ऐसी अपील की जा रही है. 

आखिर क्या है अंतर

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक सिंगल सुपर फास्फेट को यूरिया के साथ प्रयोग करें तो डीएपी से बेहतर होगा. क्योंकि सिंगल सुपर फास्फेट में नाईट्रोजन की उपलब्धता यूरिया से हो जाती है. साथ ही इसमें पहले से सल्फर, कैल्शियम मौजूद है जो कि डीएपी में नहीं है. जहां सिंगल सुपर फास्फेट में नाईट्रोजन की मात्रा जीरो परसेंट है वहीं डीएपी में यह 18 फीसदी पाया जाता है. इसलिए सिंगल सुपर फास्फेट का यूरिया के साथ इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है.

डीएपी में 46 फीसदी फास्फोरस रहता है जबकि सिंगल सुपर फास्फेट में सिर्फ 16 फीसदी. इसका मतलब डीएपी की तुलना में सिंगल सुपर फास्फेट में फास्फोरस 30 परसेंट कम है. इसलिए जब भी सिंगल सुपर फास्फेट का प्रयोग करें तो डीएपी की तुलना में तीन गुना ज्यादा होना चाहिए. साथ ही यूरिया खाद का प्रयोग जरूर करें. अगर ऐसा करते हैं तो सिंगल सुपर फास्फेट खाद डीएपी से बेहतर साब‍ित होगी.

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