Paddy Farming: अब धान फसलों को नहीं लगेगा भूरा धब्बा रोग, एक्सपर्ट ने बताया बचाव और उपचार

Paddy Farming: अब धान फसलों को नहीं लगेगा भूरा धब्बा रोग, एक्सपर्ट ने बताया बचाव और उपचार

भूरा धब्बा रोग धान की फसल को 40% तक नुकसान पहुंचा सकता है. समय पर पहचान और कारगर फफूंदनाशक से इलाज कर किसान अपनी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं.

Brown spot diseaseBrown spot disease
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Aug 13, 2025,
  • Updated Aug 13, 2025, 10:23 AM IST

बिहार में धान की खेती का तरीका बदल रहा है. अब अधिकतर किसान सीधी बुआई (Direct Seeding of Rice - DSR) तकनीक अपना रहे हैं. इससे खेत की तैयारी में मेहनत कम लगती है और खर्चा भी घटता है. लेकिन इस तकनीक में एक नई चुनौती सामने आई है- भूरा धब्बा रोग. यह रोग धीरे-धीरे कई इलाकों में फैल रहा है और फसल को भारी नुकसान पहुंचा रहा है.

यह रोग क्यों फैल रहा है?

डॉ. राजीव श्रीवास्तव, कृषि वैज्ञानिक, बताते हैं कि इस रोग का मुख्य कारण है गलत उर्वरक प्रबंधन और पानी की कमी. कई बार किसान खेत में पर्याप्त पोषक तत्व नहीं देते या समय पर सिंचाई नहीं कर पाते. इससे पौधे कमजोर हो जाते हैं और भूरा धब्बा रोग उन पर जल्दी हमला करता है.

इसका एक और कारण यह भी हो सकता है कि:

  • खेत में लगातार एक ही फसल उगाई जाती है (फसल चक्र न अपनाना)
  • बीज उपचार नहीं किया जाता
  • नाइट्रोजन युक्त उर्वरक अधिक मात्रा में देना

भूरा धब्बा रोग के लक्षण

इस रोग की पहचान करना मुश्किल नहीं है, लेकिन समय पर पहचानना जरूरी है, ताकि इसका असर कम किया जा सके:

  • पत्तियों पर भूरे, गोल या अनियमित धब्बे बनते हैं
  • धब्बों के चारों ओर हल्का पीला घेरा होता है
  • कभी-कभी यह धब्बे तने और फूल वाले हिस्से तक फैल जाते हैं
  • रोग बढ़ने पर पौधा सूखने लगता है और दाने कम भरते हैं

रोग का असर

अगर यह रोग समय पर ना रुके, तो:

  • पौधे की बढ़त रुक जाती है
  • दाने सही से नहीं बनते
  • उत्पादन में 20-40% तक की गिरावट हो सकती है
  • फसल पूरी तरह नष्ट होने का भी खतरा हो सकता है

कैसे करें प्रभावी रोकथाम?

किसानों को नीचे दिए गए उपाय अपनाने चाहिए:

  • खेत की नियमित निगरानी करें
  • समय पर सिंचाई करें
  • संतुलित उर्वरक दें (NPK का सही अनुपात)
  • रोग दिखते ही फफूंदनाशकों का छिड़काव करें
  • कार्बेन्डाजिम आधारित सिस्टमैटिक फंगीसाइड – 1 मिली प्रति लीटर पानी
  • डाइथेन एम-45 कांटेक्ट फंगीसाइड – 2 मिली प्रति लीटर पानी
  • छिड़काव सुबह या शाम के समय करें और 7-10 दिन के अंतर पर दोहराएं.

प्राकृतिक उपाय भी अपनाएं

जो किसान जैविक खेती करते हैं, वे नीम का अर्क, गौमूत्र आधारित जैविक फंगीसाइड, या ट्राइकोडर्मा फफूंद का प्रयोग कर सकते हैं. ये उपाय भी रोग को नियंत्रित करने में सहायक हो सकते हैं, खासकर शुरुआती स्तर पर.

किसान को सतर्क रहने की जरूरत 

भूरा धब्बा रोग से लड़ना मुश्किल नहीं है, अगर किसान सतर्क रहें और समय रहते उपाय करें. मौसम में बदलाव और खेत में अधिक नमी इस रोग को बढ़ावा देती है, इसलिए फसल की नियमित जांच करें और खेतों को पानी से भरने से बचाएं. धान की बेहतर पैदावार के लिए जागरूकता और समय पर कार्यवाही सबसे जरूरी है.

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